दिल्ली गैंगरेप व हत्याकांड के छठे नाबालिग आरोपी पर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड अपना फैसला 11 जुलाई को सुनाएगी.
अपराध के वक्त उसकी उम्र 17 साल 6 महीने थी, लिहाजा बाकी के और पांच आरोपियों के साथ उसका मुकदमा नहीं चला. पिछले साल 16 दिसम्बर को हुए दिल्ली गैंगरेप केस में इससे पहले किशोर न्याय बोर्ड (जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड या जेजेबी) ने अपने फैसले में कहा था कि स्कूल प्रमाणपत्र में आरोपी की जन्मतिथि 4 जून 1995 लिखी गई है. स्कूल प्रमाणपत्रों पर संदेह का कोई कारण नहीं है. इस आधार पर आरोपी नाबालिग है. इसलिए आरोपी पर अन्य पांच आरोपियों के साथ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.
आरोपी की जन्म तिथि 4 जून, 1995 मानी गई है. इसके आधार पर अपराध वाले दिन 16 दिसंबर, 2012 को इसकी उम्र 17 साल, 6 महीने और 12 दिन होती है. ऐसे में किशोर कानून के तहत आरोपी के हक में फैसला हो सकता है.
कानून की धारा 16 के अनुसार किशोर को सुधार गृह में सिर्फ 18 साल की उम्र तक ही रखा जा सकता है. इस मामले में जब आरोपी ने अपराध किया तो उसकी उम्र 18 से कम थी और किशोर न्याय बोर्ड के फैसले सुनाने के वक्त तक वो 18 साल पूरे कर चुका है. यानी न तो उसे जेल भेजा जा सकता है और न ही सुधार गृह में रखा जा सकता है क्योंकि वो 18 साल पूरा कर चुका है. ऐसे में उसकी रिहाई हो सकती है या फिर उसे कुछ दिन के लिए observation home में भेजा जा सकता है.