दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली दुष्कर्म मामले में चार लोगों को दी गई मौत की सजा की पुष्टि के लिए सुनवाई 1 अक्टूबर तक के लिए टाल दी. पिछले वर्ष 16 दिसंबर को एक चलती बस में महिला के साथ दुष्कर्म करने और उसकी हत्या करने के आरोप में निचली अदालत ने चारों को दोषी पाते हुए मौत की सजा सुनाई थी. नियम के मुताबिक उच्च न्यायालय से सजा की पुष्टि अनिवार्य है.
न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल और न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी की पीठ ने सुनवाई टालते हुए पुलिस को दोषी ठहराए गए लोगों को आवश्यक दस्तावेज मुहैया कराने का निर्देश दिया.
आरोपियों के वकील ने अदालत से कहा कि उनके पास दस्तावेज नहीं हैं.
24 सितंबर को पीठ ने रोजाना आधार पर सुनवाई किया जाना तय किया था. विशेष सरकारी वकील दयान कृष्णन ने दो दिनों के भीतर दस्तावेज मुहैया कराने पर सहमति जताई.
अदालत ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्री को मृतका के मृत्युपूर्व बयान और गवाही से संबंधित संगत दस्तावेज का अंग्रेजी अनुवाद उपलब्ध कराने के लिए भी कहा.
निचली अदालत ने 13 सितंबर को इस मामले में दोषी ठहराए गए मुकेश (26), अक्षय ठाकुर (28), पवन गुप्ता (19) और विनय शर्मा (20) को मौत की सजा सुनाई और सजा की पुष्टि के लिए मामले को उच्च न्यायालय को प्रेषित कर दिया.
16 दिसंबर की रात चलती बस में 23 वर्षीया महिला के साथ एक किशोर सहित छह लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया. अपराध को अंजाम देने के बाद महिला और उसके पुरुष साथी को आरोपियों ने चलती बस से सड़क पर फेंक दिया. बाद में महिला की सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई.
छह आरोपियों में से किशोर को तीन वर्ष के लिए सुधार गृह में रखने का आदेश दिया जा चुका है. अदालत में मामला विचाराधीन रहने के दौरान एक आरोपी ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली.