निर्भया का दरिंदा रिहा ही रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी रिहाई रोकने से मना कर दिया. कहा- कोर्ट कानून से आगे नहीं जा सकता. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत उसकी सजा पूरी हो चुकी. दोषी के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता. फैसला सुन निर्भया की मां रो पड़ी. कहने लगी- अब भी सबक नहीं लिया, यह देश का दुर्भाग्य है. निर्भया के माता-पिता ने पूछा कि बाकी चार दोषियों को कब फांसी मिलेगी?
रेपिस्ट की रिहाई के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के लिए निर्भया के माता-पिता जंतर मंतर पहुंचे हैं. निर्भया की मां ने कहा, 'हम चाहते थे कि उसे रिहा नहीं किया जाए, लेकिन वह बाहर आ गया. हम अभी भी मांग करते हैं कि जुवेनाइल जस्टिस बिल संसद में पास हो ताकि आगे आने वाले मामलों में पीड़ितों को न्याय मिल सके.'
मां बोली- अब कानून की ही लड़ाई लड़ेंगे
निर्भया की मां ने कहा कि 'मुझे मालूम था ऐसा ही कोई फैसला आने वाला है. महिला सुरक्षा के लिए कोई कुछ नहीं करेगा. लेकिन हमारी लड़ाई जारी रहेगी. अब हम कानून बदलवाने की लड़ाई लड़ेंगे. उसके पिता ने भी फैसले पर निराशा जताई. कहा कि कोर्ट अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर सकता था, पर नहीं किया.
सुप्रीम कोर्ट ने माना- कमजोर है कानून
याचिकाकर्ता दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालिवाल ने बताया, आधे घंटे चली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम आपकी चिंता से वाकिफ हैं. पर कानून ही इतना कमजोर है कि हम आपकी मदद नहीं कर सकते.' फिर मालिवाल ने टिप्पणी की, 'यह सबसे काला दिन है.' 16 दिसंबर 2012 को दरिंदगी के वक्त नाबालिग रहे उस रेपिस्ट की रिहाई रोकने के लिए दिल्ली महिला आयोग ने ही शनिवार देर रात सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी.
अब राज्यसभा में होगी जेजे बिल पर बहस
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही जुवेनाइल जस्टिस बिल पर दोबारा चर्चा शुरू हो गई. तुरंत फैसला हुआ कि राज्यसभा में दोपहर 2 बजे जुनेवाइल जस्टिस बिल पर बहस होगी. इस बिल में कहा गया है कि रेप जैसे जघन्य अपराध में शामिल 16 से 18 साल के नाबालिगों पर वयस्कों के कानून के मुताबिक ही मुकदमा चलना चाहिए.
छोड़ा जा चुका है रेपिस्ट
उस रेपिस्ट को रविवार को ही छोड़ दिया गया था. फिलहाल उसे दिल्ली के ही एक एनजीओ की निगरानी में ऑब्जर्वेशन होम में रखा गया है. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने तय प्रक्रिया के मुताबिक उसे दो साल तक एनजीओ की निगरानी में रखने का फैसला लिया है.
खुद खौफ में है वो दरिंदा
पुलिस के मुताबिक तब नाबालिग रहा वह रेपिस्ट अपने घर नहीं जाना चाहता. वह यूपी के बदायूं का रहने वाला है. उसे अपनी सुरक्षा का भय है. लिहाजा उसने एनजीओ की निगरानी में ही रहने की बात कही है. फैसला किया गया है कि उसकी नई पहचान भी जाहिर नहीं की जाएगी.
कोर्ट को बताया- जारी है सुधार प्रक्रिया
वरिष्ठ वकील पिंकी आनंद ने बताया, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को इसकी सूचना दी थी कि जुवेनाइल लॉ में सुधार की प्रक्रिया जारी है और बिल राज्यसभा में है. वहीं, समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि पार्टियां ड्रामा करती रही हैं, इस वजह से यह बिल आज तक पास नहीं हो पाया.
अब तक क्या हुआ
Nirbhaya's mother injured during police detention from Rajpath while protesting against release of juvenile convict. pic.twitter.com/foBMK7gZuy
— ANI (@ANI_news) December 20, 2015