सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि 16 दिसंबर को गैंगरेप की शिकार लड़की के दोस्त का टेलीविजन पर प्रसारित इंटरव्यू मुकदमे की सुनवाई में साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
प्रधान न्यायाधीश अलतमस कबीर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस इंटरव्यू की सीडी को बतौर साक्ष्य इस्तेमाल करने की अनुमति देने का दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया. न्यायाधीशों ने कहा कि चूंकि यह इंटरव्यू अदालत में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद दिया गया था, इसलिए कानून के तहत इसे साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
हाई कोर्ट के 7 मार्च के फैसले को दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
हाई कोर्ट ने इस मुकदमे के अभियुक्त राम सिंह और उसके भाई की याचिका पर इस इंटरव्यू की सीडी के इस्तेमाल की अनुमति देते हुए निचली अदालत का 8 फरवरी का आदेश निरस्त कर दिया था. निचली अदालत ने टेलीविजन पर 4 जनवरी को प्रसारित इंटरव्यू की सीडी साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी थी. इस सनसनीखेज वारदात के प्रमुख आरोपी राम सिंह की 11 मार्च को मौत हो गई है. उसके खिलाफ मामला खत्म कर दिया गया है.
शीर्ष अदालत ने 22 मार्च को इंटरव्यू के अंश बतौर साक्ष्य इस्तेमाल करने के हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी.
राजधानी में पिछले साल 16 दिसंबर को दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 23 वर्षीय युवती से छह व्यक्तियों ने कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया था. इस वारदात के दौरान बलात्कारियों ने युवती को बुरी तरह जख्मी कर दिया था. इस युवती की बाद में सिंगापुर के अस्पताल में 29 दिसंबर को मौत हो गई दी.
इस मामले में अब 5 आरोपियों में से 4 वयस्कों मुकेश विनय शर्मा, अक्षय सिंह और पवन गुप्ता पर निचली अदालत में सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोप में मुकदमा चल रहा है, जबकि छठा आरोप किशोर है. उसके खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड में मामला चल रहा है.