देश की राजधानी में सीवर की सफाई करने वाले कर्मचारियों की मौत को लेकर दिल्ली सरकार सख्त नजर आ रही है. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी सरकार की बैठक हुई.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में जिले के सभी डीएम को सर्वे कर, सीवर की सफाई का काम करने वाले कर्मचारियों की लिस्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है ताकि उन्हें ट्रेनिंग देकर सिविल डिफेंस में नौकरी दी जा सके.
ट्रायल शुरू करने का निर्देश
इस बैठक में दिल्ली सरकार ने एडीएम को 5 साल पुराने मामलों में जांच शुरू कर मैनुअल स्कैवेंजिंग की घटनाओं में आरोपियों के खिलाफ ट्रायल शुरू करने का निर्देश दिया है. इसके अलावा बैठक में यह सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि किसी भी तरह से अब कोई सीवेज में उतर कर मौत ना हो. घटना होने पर सफाई कराने वाला इंचार्ज और संगठन जिम्मेदार होगा. मुख्यमंत्री ने ऐसे मामलों में 304-A की जगह 304 का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है.
राज्य सरकार में SC/ST मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने बताया कि मैनुअल स्कैवेंजर्स एक्ट 2013 के तहत दिल्ली स्टेट मॉनिटरिंग एक्ट की बैठक 6 महीने में होने का नियम है. इसके बावजूद कमिटी की पहली बैठक ही 9 महीने में हो रही. बैठक के देरी से होने के कारण की जांच वो खुद करेंगे और सीएम को रिपोर्ट देंगे. साथ ही मंत्री ने बताया कि अभी तक 3 जिलों के डीएम ने 45 मैनुअल स्कैवेंजर्स उनके इलाके में होने की जानकारी दी है. इन्हें ट्रेनिंग देने और सिविल डिफेंस में जॉब देना को कहा गया है. इसमें 10वीं पास होने का नियम है लेकिन सीएम ने स्पेशल केस में 10वीं पास के नियम में छूट देकर नौकरी देने को मंजूरी दी है.
'आजतक' से खास बातचीत के दौरान SC/ST मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने मैनुअल स्कैवेंजर्स (मेहतर) के लिए लागू की जाने वाली पॉलिसी पर हो रही देरी पर कई सवालों के जवाब दिए हैं. उन्होंने बताया कि पिछले साल कई मौत सीवर या सेफ्टिक टैंक में उतरने से हुईं. तब एलजी साहब ने एक मीटिंग बुलाई थी, जिसमें दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ को मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करने की जिम्मेदारी दी गयी थी.
सीईओ ने SOP को बनाया जो आज दिल्ली सरकार के UD विभाग के पास है. SOP के तहत ठेकेदार के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान रखा गया है. इस काम से जुड़े लोगों को जल बोर्ड में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा क्योंकि जल बोर्ड सफाई कर्मचारियों को ट्रेनिंग देता है. सरकार ऐसे लोगों को ट्रेनिंग दिलाना चाहती है ताकि सफाई के दौरान सेफ्टी किट का इस्तेमाल हो.
मंत्री ने आगे बताया कि सीवर या सेफ्टिक टैंक के अंदर जाने में पूरी तरह पाबंदी है लेकिन जमीनी हकीकत अलग है. दिल्ली जल बोर्ड का कंट्रोल सीवर की सफाई पर है लेकिन प्राइवेट बिल्डिंग या प्राइवेट मॉल में ठेकेदार मजदूरों से सफाई करवाते हैं, जिसके बाद मौत की घटनाएं सामने आती हैं.
ऐसे मौत के मामलों में सरकार ने निर्देश दिए हैं कि पुलिस 304 के तहत मुकदमा दर्ज करे क्योंकि ठेकेदार को जानकारी होती है कि टैंक या सीवर में गैस बनती है और लोगों की जान जा सकती है. सरकार ने पोस्टर और विज्ञापन के जरिये प्रचार भी किया था. इसमें सेफ्टिक टैंक या सीवर की सफाई के लिए दिल्ली जल बोर्ड या एमसीडी से संपर्क के बारे में बताया गया था ताकि अधिकृत लोगों को सफाई के लिए भेजा जा सके जो सेफ्टी किट का इस्तेमाल करते हैं.
नई तकनीक की 200 मशीन लाएगी सरकार
मंत्री का दावा है कि दिल्ली सरकार नई तकनीक की 200 मशीन भी लेकर आ रही है. भविष्य में सीवर की सफाई का मशीन से कराया जाएगा. यह मशीनें नवंबर में आ जाएंगी, और इसी महीने में इन मशीनों को लांच किया जाएगा. दिल्ली जल बोर्ड ने इन मशीनों के लिए टेंडर भी दे दिया है. इस स्कीम के लिए हैदराबाद और पुणे जाकर मशीनों में बदलाव भी कराए गए थे. इन मशीनों में किसी कर्मचारी को सीवर में नहीं जाना होगा और इनका इस्तेमाल पतली गलियों में भी किया जा सकेगा.
दिल्ली सरकार के मुताबिक सीवर की सफाई के लिए जल बोर्ड को ज़िम्मेदारी दी गई है लेकिन लोग सफाई करवाने से पहले जल बोर्ड में संपर्क नहीं करते हैं. मंत्री राजेंद्र पाल गौतम का कहना है कि ऐसे तो कानून बनाया है कि चोरी, डकैती और बलात्कार पर प्रतिबंध है लेकिन फिर भी पूरे देश में लोग करते हैं. आम आदमी पार्टी सरकार आने के बाद 304 में मुकदमे दर्ज हुए हैं वरना 304-A में मुकदमे दर्ज होते हैं. सीवर में भेजने पर मौत होने के बाद गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज होगा.
बता दें कि ''मैनुअल स्कैवेंजर्स एक्ट'' के तहत सरकार ने स्टेट मॉनिटरिंग कमिटी का गठन किया है जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं. इसके अलावा DM के नेतृत्व में हर जिले में एक विजलेंस कमिटी बनाई है जिसके तहत हर जिले में सर्वे भी कराया गया है. दिल्ली सरकार का आरोप है कि पहले तीनों निगम का दावा था कि कोई भी स्कैवेंजर्स (मेहतर) नहीं है लेकिन 2 जिलों में डीएम के सर्वे से कई मेहतर सामने आए हैं.
स्टेट मॉनिटरिंग कमिटी की दिल्ली सचिवालय में बैठक के दौरान एमसीडी, जल बोर्ड, डीडीए, दिल्ली कैंट बोर्ड, नई दिल्ली निगम शामिल हुए. इन तमाम एजेंसियों की मदद से मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को लागू किया जाएगा ताकि आने वाले दिन में किसी को भी सीवर या सेफ्टिक टैंक में सरकारी विभाग की जानकारी के बिना उतरने न दिया जाए.