हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कोरोना संक्रमित लोगों के घर के बाहर पोस्टर न लगाने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिन घरों के बाहर ऐसे पोस्टर लगे हैं, उन्हें भी तुरंत हटाया जा सकता है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कोरोना पॉजिटिव लोगों के घर पर पोस्टर लगाने और आरडब्ल्यूए द्वारा व्हॉट्सएप्प ग्रुप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जानकारी सर्कुलेट करने को लेकर यह आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि कोरोना मरीजों के घर के बाहर पोस्टर नहीं लगाए जाएंगे. इन पोस्टर्स में व्यक्ति का नाम लिखकर ये बताया जाता था कि अमुक शख्स कोरोना से संक्रमित है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिन लोगों के घरों के बाहर ऐसे पोस्टर्स लगे भी हुए हैं वह उनको तुरंत फाड़कर फेंक सकते हैं.
इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार ने कहा है कि किसी भी कोरोना मरीज के घर के बाहर कोई पोस्टर नहीं लगाया जाएगा, जो होम आईसोलेशन में हैं. इसके अलावा जिन भी मरीजों के घर के बाहर पोस्टर लगाए गए हैं, उसे तुरंत हटाया जाएगा.
दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट में अपना रुख साफ किया. सरकार ने कहा कि दिल्ली सरकार के किसी भी अधिकारी को ऐसे कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं कि कोविड-19 के मरीजों के नाम वो किसी व्हाट्सएप ग्रुप या किसी और संस्था के साथ ऐसी कोई सूचना शेयर करें.
दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने कोरोना गाइडलाइंस से जुड़ी एक जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा था. याचिका में दिल्ली सरकार से अधिकारियों को ऐसे लोगों के घरों के बाहर पोस्टर आदि लगाने से रोके जाने की मांग की गई है जो कोरोना पॉजिटिव हैं या होम आइसोलेशन में हैं.
याचिका में कहा गया है कि कोरोना पॉजिटिव लोगों के घर के बाहर लगे नोटिस को आरडब्ल्यूए के लोग व्हाट्सएप ग्रुप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सर्कुलेट कर देते हैं. इसके बाद कोरोना पॉजिटिव लोगों की दिक्कतें और ज्यादा बढ़ जाती हैं. लिहाजा सरकारी अधिकारियों को पोस्टर लगाने से रोका जाना चाहिए.
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इस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील कुश शर्मा ने कोर्ट में कहा कि कोरोना पॉजिटिव होने के बाद लोग ख़ुद ही क्वारनटीन हो जाते हैं. ऐसे में घर के अंदर बंद होकर बाहर के लोगों को संक्रमण नहीं दे सकते. लेकिन जैसे ही उनके घर के बाहर सरकारी अधिकारियों द्वारा नोटिस चिपका दिया जाता है आसपास के तमाम लोग उनका सामाजिक बहिष्कार करने लग जाते हैं.
याचिकाकर्ता ने कहा कि लोग कोरोना मरीजों के घरों के बाहर सब्जी और दूध के पैकेट तक नहीं डालते हैं. नोटिस लगने के बाद बाकी उन सदस्यों को भी घर से बाहर जाना संभव नहीं होता. इसकी वजह से ऐसे मरीजों के घरों में दैनिक जरूरत की चीजों की होम डिलीवरी तक नहीं हो पाती है.