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चाइनीज मांझे पर बैन को लेकर एक साल तक उलझी रही दिल्ली सरकार

15 अगस्त को चाइनीज मांझे की वजह से दिल्ली में 3 लोगों की जान गइ थी, जिसमें 2 मासूम बच्चे थे. दर्जनों ऐसी घटनाएं सामने आईं थीं जिसमे लोग जख़्मी हुए थे. तब जाकर सरकार की आंखें खुली और आनन-फानन में 16 अगस्त को इस मांझे पर रोक लगाने के लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन लोगों की राय और आपत्तियों के लिए जारी किया गया.

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दिल्ली में चाइनीज मांझे से हुई कई मौतें
दिल्ली में चाइनीज मांझे से हुई कई मौतें

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दिल्ली में नायलॉन या चीनी मांझे को लेकर चल रहे विवाद में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है. पिछले हफ्ते विवाद इस बात को लेकर चला कि आखिरकार ऐसे मांझों को बैन करने में देरी किसकी ओर से हुई, दिल्ली सरकार या फिर दिल्ली के उपराज्यपाल. लेकिन, चौंकाने वाला पहलू तो ये है कि ये देरी महज कुछ दिनों की नहीं थी, बल्कि एक साल से ज़्यादा लंबी थी. इसका खामियाजा लोगों को चुकाना पड़ा.

दिल्ली सरकार के दस्तावेजों को मानें तो, पर्यावरण विभाग ने मई 2015 में ही केजरीवाल सरकार के पर्यावरण मंत्री को फाइल भेज दी थी, जिसमें इस जानलेवा मांझे को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी करने का प्रस्ताव था. हमारे नेटवर्क के पास उस फाइल से जुडी एक्सक्लूसिव जानकारी मौजूद है, जिसमें तत्काल ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी करने का प्रस्ताव पेश किया गया था. फाइल पर्यावरण विभाग में तत्कालीन अतिरिक्त सचिव कुलानंद जोशी ने तैयार की थी. 27 मई 2015 को इस फाल को पहले पर्यावरण सचिव, फिर मुख्य सचिव और यहां तक कि पर्यावरण मंत्री को भी भेजा गया था.

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कैसे चीनी मांझों को लेकर गरमाई थी सियासत
ये खुलासा इसलिए काफी अहम है, क्योंकि 15 अगस्त को चाइनीज मांझे की वजह से दिल्ली में 3 लोगों की जान गइ थी, जिसमें 2 मासूम बच्चे थे. दर्जनों ऐसी घटनाएं सामने आईं थीं जिसमे लोग जख़्मी हुए थे. तब जाकर सरकार की आंखें खुली और आनन-फानन में 16 अगस्त को इस मांझे पर रोक लगाने के लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन लोगों की राय और आपत्तियों के लिए जारी किया गया.

ऐसे अटकी रही फाइल
एक तरफ नोटिफिकेशन जारी हुआ, दूसरी तरफ इस पर सियासत शुरू हो गई. दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल नजीब जंग पर आरोप लगाया कि उस फाइल को उन्होंने 4 दिन अपने पास रखा और जब उन्होंने फाइल भेजी भी तो पर्यावरण सचिव उस पर एक हफ्ते बैठ गए. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करके उपराज्यपाल को पर्यावरण सचिव के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा, लेकिन उपराज्यपाल ने अपनी सफाई दी और कहा कि उनके पास महज एक दिन के लिए ही फाइल आई थी. लेकिन, हमारे नेटवर्क के पास जो जानकारी है वो ये बताने को काफी है कि अगर एक साल से भी पहले ये नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता था. सरकारी विभागों ने देरी करते हुए फाइल को अटकाए रखा और इस साल भी 15 अगस्त से पहले इसे बैन नहीं किया.

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