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यमुना की सफाई में फिसड्डी रही केजरीवाल सरकार

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक यमुना का पानी दिल्ली में E लेवल का है. इसका मतलब है कि इस पानी उपयोग जानवरों को नहलाने तक में नहीं हो सकता है. इस पानी को सिर्फ इंड्रस्ट्रीयल कूलिंग में प्रयोग किया जा सकता है.

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यमुना में हानिकारक स्तर पर अमोनिया
यमुना में हानिकारक स्तर पर अमोनिया

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दिल्ली में आदमी पार्टी की सरकार बने करीब दो साल हो गए लेकिन यमुना अब तक मैली है. सरकार ने तमाम योजनाएं बनाईं लेकिन यमुना को उनसे कोई फ़ायदा होता नहीं दिख रहा. यमुना का पानी ही सत्तर प्रतिशत दिल्ली की प्यास बुझाता है. आम आदमी पार्टी की सरकार ने यमुना को साफ़ करने के वादे तो बहुत किये लेकिन पिछले दो सालों से स्थिति नहीं बदली है.

जल संरक्षण के लिये काम करने वाले एक एनजीओ के संचालक विमलेन्दु झा के मुताबिक पिछले दो सालों में यमुना के पानी की एक बूंद भी साफ नहीं हुई. इनका कहना है कि यमुना में अमोनिया का लेवल बढ़ गया है और पानी में ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई जलीय जीवन नहीं पनप रहा है. विमलेन्दु झा ने सरकार पर बस य़मुना आरती करने का आरोप लगाया और कहा कि आरती करने से यमुना साफ नहीं हो सकती.

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक यमुना का पानी दिल्ली में E लेवल का है . इसका मतलब है कि इस पानी उपयोग जानवरों को नहलाने तक में नहीं हो सकता है. इस पानी को सिर्फ इंड्रस्ट्रीयल कूलिंग में प्रयोग किया जा सकता है. पिछले सप्ताह अमोनिया लेवल हानिकारक स्तर तक बढ़ जाने के कारण वजीरपुर वॉटर ट्रीटमेंट प्लान्ट को बंद करना पड़ा था.

यमुना के किनारे रहने वाले लोग भी इसके पानी की बदबू से परेशान हैं. ये लोग सरकार की उदासीनता की गवाही भी दे रहे हैं. यमुना किनारे रहने वाले विशाल कुमार बताते हैं कि सरकार की तरफ से यमुना की सफ़ाई सिर्फ छठ पूजा के दौरान होती है . बाकी साल भर यमुना के तट को कोई देखने तक नहीं आता. यमुना में गंदगी इतनी है कि इसमें नाव चलाना भी मुशकिल है.

यमुना किनारे रहने के बावजूद लोगों को गर्मियों में पानी के लिये तरसना पड़ता है. आरोप-प्रत्यारोप से ऊपर उठकर सभी नेताओं को समस्या का समाधान ढूंढना पड़ेगा, तभी दिल्ली की प्यास बुझ सकती है.

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