दिल्ली में शराब पीने की उम्र घटाने को लेकर लगाई गई याचिका पर हाईकोर्ट में केजरीवाल सरकार ने अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है. दिल्ली सरकार ने मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि शराब पीने की उम्र 25 साल से कम नहीं होनी चाहिए, क्योंकि अगर इसको कम किया गया, तो नतीजे खतरनाक हो सकते हैं. कम उम्र के युवाओं पर इसका गलत असर पड़ सकता है और उनके स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है.
दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामा में कहा कि शराब पीने की उम्र को घटाने से सामाजिक, नैतिक और सुरक्षा से जुड़ी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं. सरकार ने इस बात पर भी ऐतराज जताया कि सामाजिक और स्वास्थ्य दोनों नजरियों से कम उम्र में शराब पीने की इजाजत देने की याचिका कैसे किसी जनहित याचिका का हिस्सा हो सकती है? कम उम्र में शराब पीने की इजाजत देना आम जनता के हित में नहीं है.
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट में कुश कालरा ने एक जनहित याचिका लगाई है, जिसमें दिल्ली एक्साइज एक्ट-2010 की धारा-23 को खत्म करने की गुजारिश की गई है. इस धारा में दिल्ली में शराब को बेचने-खरीदने या उसके सेवन के लिए 25 साल उम्र निर्धारित की गई है यानी 25 साल से कम उम्र के युवा न तो शराब खरीद सकते हैं न बेच सकते हैं और न ही उसका सेवन कर सकते हैं.
याचिकाकर्ता ने अपील की कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शराब पीने की उम्र को 25 साल से कम किया जाए. मामले में याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में अलग-अलग राज्यों के आंकड़े भी दिए. याचिका में कहा गया कि गोवा में 18 साल की उम्र में ही शराब के सेवन की इजाज़त है. दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में साफ कर दिया कि शराब की बिक्री, खरीद और सेवन के लिए वह न तो दिल्ली एक्साइज एक्ट की धारा-23 को हटाने को तैयार है और न ही उम्र घटाने से आम लोगों को किसी तरह का कोई फायदा होगा.
सरकार का पक्ष आने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले में याचिकाकर्ता को भी अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का समय और दिया है. देश के अलग-अलग राज्यों में शराब के सेवन को लेकर अलग-अलग नियम है. गोवा जैसे राज्य ने जहां शराब पीने की उम्र 18 साल रखी है, वहीं बिहार और गुजरात जैसे राज्यों ने शराब को पूरी तरह से बैन किया हुआ है. दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 22 जनवरी को करेगा.