दिल्ली सरकार का जीटीबी अस्पताल हड्डियों के बैंक का पहला अस्पताल बन गया है. शनिवार को स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने हड्डियों के इस बैंक का उद्घाटन किया. जैन ने बताया कि जीटीबी अस्पताल में हड्डियों के इलाज के लिए एक नया इमरजेंसी वार्ड भी शुरू किया गया है. यहां डॉक्टर्स की एक अलग टीम भी बनाई गई है.
सत्येंद्र जैन ने बताया कि अब तक सिर्फ AIIMS में हड्डियों का बैंक है लेकिन अब जीटीबी अस्पताल में भी हड्डियों के बैंक की शुरुआत की जा रही है. इसका मकसद यही है कि जिन मरीजों की हड्डियां टूट जाएं या गल जाएं उन्हें हड्डी बदलवाने की सुविधा आसानी से मिल जाए. जीटीबी अस्पताल में दुर्घटना के काफी ज्यादा मामले दिल्ली ही नहीं आसपास के राज्यों से भी आते हैं.
इस दौरान सरकारी अस्पतालों में ट्रीटमेंट या टेस्ट के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनों के ख़राब होने के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने सफाई दी. उन्होंने बताया कि मशीनों की कमी नहीं है. दिल्ली सरकार ने अस्पतालों में मशीनों की जांच करवाई है. 85 से 95 प्रतिशत मशीन ठीक चल रही हैं बाकि जिन अस्पतालों में मशीने ठीक नहीं हैं, उन्हें मशीन बदलने या नई मशीन खरीदने का आदेश दिया है.
गुरु तेग बहादुर अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञों की मानें तो जीटीबी अस्पताल के नज़दीक से 2 नेशनल हाइवे गुजरते हैं. साथ ही यह अस्पताल यमुना पार की पूर्वी दिल्ली की 70 लाख जनसंख्या से घिरा हुआ है. डॉक्टर्स के मुताबिक, 2017 में जीटीबी अस्पताल में 1 लाख 33 हजार हड्डी रोग से जुड़े मरीजों का इलाज हुआ था.
जीटीबी अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि अक्सर मरीज को इलाज के लिए अधिक हड्डी की ज़रूरत होती है. ठीक वैसे ही जैसे खून की. ऐसे में लाइव डोनर और हाल ही मृत हो चुके इंसान की हड्डी का इस्तेमाल किया जाता है. आज के दौर में हड्डियों का बैंक एक बड़ी जरूरत है इस पर डॉक्टर पिछले कई सालों से चर्चा कर रहे थे. डॉक्टर्स का कहना है कि वो आने वाले वक़्त में अन्य अस्पतालों से भी हड्डियां दान करने की इस मुहिम में शामिल होने की अपील करेंगे.