पिछले तकरीबन दो महीने से दिल्ली में चिकनगुनिया, मलेरिया के प्रकोप के चलते हाहाकार मचा हुआ है. लेकिन दिल्ली सरकार की सुस्ती का आलम ये है कि वो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में अपनी स्टेटस रिपोर्ट तक दाखिल करने में नाकामयाब है.
नाराज एनजीटी सरकार के इस रवैये पर जुर्माना भी लगाने जा रहा था लेकिन सरकार के वकीलों ने जब एनजीटी को कहा कि सिर्फ एक दिन की मोहलत दे दीजिए, परसों तक स्टेटस रिपोर्ट फाइल हो जाएगी तो फिर कोर्ट ने 18 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई की तारीख दे दी.
नाराज एनजीटी ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको अंदाजा भी है कि आप कितने गंभीर मामले पर स्टेटस रिपोर्ट तक नहीं दे पा रहे हैं. जहां बीमारी के शिकार लोगों को अपनी जान तक गवानी पड़ी है. हजारों लोग बीमार हैं लेकिन आप लोग गंभीर नजर नहीं आते.
सरकार ने कहा की एनजीटी के आदेश के बाद उन्होंने एक हाई लेवल कमेटी बना ली है. लेकिन उस कमेटी ने अब तक क्या किया है जिससे बीमारी से जुझ रहे लोगों तक मदद मिल पाए, इसका कोई जवाब सरकार के पास एनजीटी को देने के लिए नहीं था.
18 अक्टूबर को इस मामले की दोबारा सुनवाई होनी है. सरकार को एनजीटी को स्टेटस रिपोर्ट सौंपनी है. रिपोर्ट से ये साफ होगा कि स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े वादे करने वाली सरकार जमीनी तौर पर आखिर काम कितना कर रही है. हालांकि ये तो साफ है कि मलेरिया और चिकनगुनिया को रोकने में सरकार और सिविक एजेंसी दोंनो ही नाकाम रहे हैं.