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दिल्ली: ठोस और जैविक कचरे को करें अलग, नहीं तो लगेगा जुर्माना

हाईकोर्ट ने सरकार और एमसीडी को निर्देश दिया है कि पहले नए नियमों का प्रचार करें, ताकि लोगों को इस बारे में जानकारी हो. इसके बाद उन पर कार्रवाई की जाए. दिल्ली सरकार ने ये हाल ही में नोटिफाई किया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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राजधानी में अब ठोस और जैविक कचरे को अलग-अलग न करने पर जुर्माना लगेगा. यह कितना होगा वह इस बात कर निर्भर करेगा कि आपके घर से कितना कूड़ा निकल रहा है. देश में यह पहली बार होने जा रहा है. मंगलवार को दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है. सरकार के वकील ने बताया कि इन नए बायलॉज के बारे में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है.

हाईकोर्ट ने सरकार और एमसीडी को निर्देश दिया है कि पहले नए नियमों का प्रचार करें, ताकि लोगों को इस बारे में जानकारी हो. इसके बाद उन पर कार्रवाई की जाए. दिल्ली सरकार ने ये हाल ही में नोटिफाई किया है. लिहाजा विज्ञापनों के जरिए आम लोगों को नए बायलॉज के बारे में जागरुक करना भी बेहद महत्वपूर्ण होगा.

ईस्ट और साउथ एमसीडी ने बेंच को बताया कि कर्मचारियों के लिए आधार आधारित अटेंडेंस लगाने की व्यवस्था हो गई है. जब कोर्ट ने अटेंडेंस को लेकर पूछा है कि जो कर्मचारी एक बार हाथ से पंच करके निकल गए, वो फील्ड में काम कर रहे हैं या नहीं, इसकी निगरानी कैसे की जा रही है. इसका जवाब एमसीडी के पास नहीं था. मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी.

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हाईकोर्ट के आदेश पर पर्यवारण विशेषज्ञों और एमसीडी समेत सिविक एजेंसियों ने मिलकर नए नियम तैयार किए हैं. नए नियमों के तहत ग्रुप हाउसिंग सोसायटी को कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था करनी होगी. इसके अलावा घरों से अलग-अलग करने और उसके निस्तारण यानी कचरे का ट्रांस्पोटेशन व निस्तारण शुल्क वसूलने का प्रावधान भी किया गया है.

कोर्ट ने राजधानी में डेंगू-चिकनगुनिया जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए जनहित याचिका पर विचार करते हुए एक विशेष कमेटी गठित की थी. कमेटी ने इन बीमारियों के लिए राजधानी में फैली गंदगी को कारण बताया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने पर्यावरणविद सुनीता नारायण, अलमित्रा पटेल और एम सी मेहता को ठोस कचरा प्रबंधन के लिए नए उपनियम बनाने का निर्देश दिया था.

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