दिल्ली सरकार ने बुधवार को हाईकोर्ट से कहा कि केंद्र ने नई दिल्ली महानगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के उपाध्यक्ष की एकतरफा नियुक्ति से पहले एक भी बैठक नहीं की. यह बात दिल्ली सरकार ने जस्टिस वीपी वैश की एकल पीठ के समक्ष कही.
सरकार ने दावा किया कि एनडीएमसी अधिनियम प्रावधानों के अनुसार बीजेपी नेता करन सिंह तंवर की नियुक्ति में केंद्र और मुख्यमंत्री के बीच उचित परामर्श प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दायन कृष्णन ने कहा, ‘एक भी बैठक नहीं हुई और केंद्र ने एनडीएमसी उपाध्यक्ष के उम्मीदवार के गुणदोष पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री को एक भी अवसर नहीं दिया.’
तर्कसंगत चर्चा क्यों नहीं हुई
दायन कृष्णन ने कहा कि यह मुद्दा नहीं है कि केंद्र सरकार ने हमें नाम नहीं भेजा और हमने इसका अनुमोदन नहीं किया. एनडीएमसी उपाध्यक्ष की नियुक्ति के मुद्दे पर तर्कसंगत चर्चा होनी चाहिए थी.
कृष्णन ने कहा, ‘यह एकतरफा नियुक्ति थी. क्यों वे (केंद्र) विचार-विमर्श से बच रहे हैं? क्यों एक भी बैठक नहीं की गई? कुछ छिपे हुए तथ्य थे.’ उन्होंने कहा कि अधिसूचना जारी करने के लिए केंद्र अंतिम प्राधिकार है लेकिन सलाह-मशविरे की उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए.
- इनपुट भाषा