दिल्ली सरकार के डेंगू और चिकनगुनिया से निपटने को लेकर लगाए गए नए पोस्टर और होर्डिंग पर कई सवाल खड़े हो गए हैं. आम जनता को जागरूक करने बजाय सरकार जानलेवा बीमारी से दिल्लीवालों को युद्ध करने की नसीहत दे रही है. फिलहाल 'आप' प्रवक्ता इसे सरकार की क्रिएटिविटी बता रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा बजट खर्च करने वाली केजरीवाल सरकार का विज्ञापन बेहद हैरान करने वाला है.
हर साल खतरनाक बीमारी से जूझने वाली देश की राजधानी में डेंगू और चिकनगुनिया के रोकथाम के लिए न तो पर्याप्त इंतजाम किये जाते हैं, न ही लोगों को जागरूक. इन दिनों आम आदमी पार्टी सरकार लोगों को जागरूक करने की बजाय बीमारी से निपटने की सलाह देती नज़र आ रही है. दिल्ली के मुख्य मार्गों में लगाए गए अलग-अलग होर्डिंग पर लिखा गया है- 'इस बार डेंगू-चिकनगुनिया के ख़िलाफ दिल्ली वाले करेंगे युद्ध'. इस होर्डिंग पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भी तस्वीर है.
आम आदमी पार्टी के मुताबिक सरकार के नए पोस्टर बेहद क्रिएटिव हैं. आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज का कहना है कि जागरूक करने के लिए जब एक ही मैसेज देना हो, तो उस मैसेज को री-पैकेज करना होता है. अगर बार-बार एक ही पोस्टर दिखाया जाएगा, तो लोग उससे बोर हो जाएंगे. लोगों का ध्यान उस तरफ आकर्षित किया जाए, इसलिए इस तरह के संदेश तैयार किए गए हैं. हालांकि डेंगू और चिकनगुनिया की रोकथाम का काम एमसीडी का है, लेकिन दिल्ली सरकार भी जागरूकता फैलाती है, ताकि लोग घरों में पानी इकट्ठा न होने दें.
मालूम हो कि एमसीडी चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने दिल्लीवालों से वोट मांगते हुए कहा था कि अगर बीजेपी को वोट दिया, तो डेंगू और चिकनगुनिया के लिए दिल्लीवाले खुद ज़िम्मेदार होंगे. एक सवाल पर आप के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने अपनी सरकार का बचाव करते हुए कहा कि चुनाव से पहले कहा गया था कि बीजेपी ही डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने के लिए ज़िम्मेदार है, लेकिन दोबारा बीजेपी को वोट मिला है और दिल्ली सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगी कि डेंगू और चिकनगुनिया न फैले.
सरकार के नए होर्डिंग पर सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं, क्योंकि डेंगू और चिकनगुनिया से युद्ध करने की बजाय अगर मच्छरों को पनपने से रोक जाए, तो लोगों को जानलेवा बीमारी का शिकार नहीं होना पड़ेगा. हाल ही में 'आजतक' के रिएलिटी चेक में यह सामने आया था कि किस तरह सरकारी अस्पतालों में ही मच्छर पनप रहे हैं, लेकिन रोकथाम की बजाय एजेंसियां और सरकार एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में व्यस्त हैं. पिछली बार की नाकामी के बाद इस बार सरकार ने लोगों को डेंगू की लड़ाई खुद लड़ने को कहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि रोकथाम और सही जानकारी देने की बजाए बीमारी से लड़ने की नसीहत देना क्या सही कदम है?