दिल्ली के शालीमार बाग में स्थित मैक्स अस्पताल की कथित आपराधिक लापरवाही की घटना हो या गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल की ओर से डेंगू की मरीज बच्ची के परिवार से लाखों रुपए का बिल वसूलने का मामला. राजधानी दिल्ली में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार निजी अस्पतालों की मनमानी पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है.
शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल की घटना के बाद केजरीवाल सरकार ने पूरे अस्पताल का लाइसेंस रद्द करके निजी अस्पतालों को एक कडा संकेत पहले ही दे दिया है. इस फैसले की विरोधी पार्टियां भले ही आलोचना कर रही हों लेकिन दिल्ली के अधिकतर लोग इसे अच्छा कदम बता रहे हैं. इस सिलसिले में केजरीवाल सरकार आगे भी चुप नहीं बैठने वाली.
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने ‘आज तक’ को जानकारी दी है कि केजरीवाल सरकार दिल्ली विधानसभा के शीतकालीन सत्र में दिल्ली हेल्थ एक्ट लाने की तैयारी कर रही है. अस्पताल जैसे संस्थानों के लिए केंद्रीय सरकार के कानून की तर्ज पर दिल्ली सरकार कड़े प्रावधान वाला कानून लाया जाएगा.
हालांकि मैक्स अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कई मौकों पर यह कहा है कि उनकी सरकार निजी अस्पतालों के खिलाफ नहीं है और ना ही उनके कामकाज में रोड़ा बनना चाहती है. लेकिन सरकार के सूत्रों की माने तो निजी अस्पतालों की ओर से मनमाना बिल वसूलने की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सरकार विधान सभा में नया कानून लेकर आएगी. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी इसकी पुष्टि की है.
सत्येंद्र जैन ने ‘आज तक’ को बताया कि निजी अस्पतालों की ओर से मुहैया कराए जाने वाले इलाज, दवाइयों, अन्य सामान की वसूले जाने वाली कीमतों पर सरकार अंकुश लगाएगी. ये ध्यान रखा जाएगा कि निजी अस्पताल मरीजों का उत्पीड़न ना कर सकें.
क्या होगा इस कानून में?
गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल ने डेंगू पीड़ित परिवार से 15 लाख रुपए के बिल का भुगतान लिया था. दिल्ली में भी कई निजी अस्पतालों की ओर से बढ़ा चढ़ा कर बिल वसूले जाने को लेकर सरकार को शिकायतें मिली हैं. दिल्ली हेल्थ ऐक्ट के तहत केजरीवाल सरकार राजधानी के तमाम अस्पतालों में इलाज के दौरान मरीजों को दी जाने वाली दवाओं और दूसरे सामान की कीमतों पर नियंत्रण लगाने जा रही है. सरकार एक जैसी दवाइयों की कीमतों तय करेगी. साथ ही सीरींज, ग्लव्स जैसे अन्य मेडिकल सामान की भी कीमतें सरकार तय करेगी. इतना ही नहीं एक्स रे से लेकर सीटी स्कैन जैसे तमाम टेस्ट के लिए लिया जाने वाला शुल्क भी दिल्ली सरकार ही तय करेगी.
सरकार की ओर से जो सीमा तय की जाएगी, उससे ज्यादा कीमत निजी अस्पताल किसी भी सूरत में नहीं वसूल कर पाएंगे. सरकार की मानें तो नियम तोडने पर जांच रिपोर्ट के मुताबिक निजी अस्पताल पर भारी जुर्माना और सज़ा के साथ अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान भी होगा.
दिल्ली सरकार के सूत्रों का कहना है कि इस कानून के अमल में आने के बाद फाइव स्टार सुविधाओं वाले टॉप हॉस्पिटल्स समेत तमाम निजी असपतालों की ओर से मरीजों से वसूले जाने वाले बिलों में 40 फीसदी से ज्यादा की कमी आ सकती है. सरकार जनवरी में विधानसभा के प्रस्तावित शीतकालीन सत्र में इस कानून को पेश करने की तैयारी कर रही है.