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दिल्ली में 81 एकड़ में बनेगी खास इलेक्ट्रॉनिक सिटी, केजरीवाल सरकार बना रही बड़ा प्लान

दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन ने शहर के भीतर इलेक्ट्रॉनिक सिटी के लिए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को विस्तृत खाका पेश किया. डीडीसी की ओर से तैयार किए गए ब्लूप्रिंट के जरिए दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के बापरोला में विश्व स्तरीय इलेक्ट्रॉनिक शहर विकसित करने के लिए विस्तृत सिफारिशें की गई हैं.

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इलेक्ट्रॉनिक सिटी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
इलेक्ट्रॉनिक सिटी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन ने मंगलवार को दिल्ली के भीतर इलेक्ट्रॉनिक सिटी के लिए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को एक विस्तृत खाका पेश किया. उद्योग मंत्री को ये सिफारिशें डीडीसी उपाध्यक्ष जस्मिन शाह, डीडीसी सदस्य गोपाल मोहन और विजय चंदर वुपुटुरी की मौजूदगी में सौंपी गई.

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डीडीसी की ओर से तैयार किए गए ब्लूप्रिंट के जरिए दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के बापरोला में विश्व स्तरीय इलेक्ट्रॉनिक शहर विकसित करने के लिए विस्तृत सिफारिशें की गई हैं. इसमें दिल्ली को भारत और विश्व स्तर पर शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन, मेन्यूफेक्चरिंग व रिफर्बिशमेंट कंपनियों के लिए पसंदीदा डेस्टिनेशन बनाने के लिए दिल्ली इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन, मेन्यूफेक्चरिंग व रेफर्बिशमेंट (ईएसडीएमआर) पॉलिसी 2022-27 का प्रस्ताव दिया गया है. 

'इलैक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री के लिए पसंदीदा डेस्टिनेशन बने दिल्ली'
 
इस पॉलिसी का उद्देश्य विभिन्न उद्योग क्षेत्रों के लिए प्रतिस्पर्धी बुनियादी ढांचे और अनुकूल नीति वातावरण की पेशकश कर इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री के लिए दिल्ली को एक पसंदीदा डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करना है. डीडीसी ने सिफारिश की है कि दिल्ली के इलेक्ट्रॉनिक सिटी के लिए सभी बुनियादी ढांचे को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के अनुरूप विकसित किए जाने चाहिए. जिसमें दिल्ली सरकार ने एक रियल एस्टेट डेवलपर के साथ भागीदारी की है. जिसे बापरोला में 81 एकड़ के क्षेत्र में दिल्ली के इलेक्ट्रॉनिक सिटी के विकास, प्रबंधन और रखरखाव के लिए कॉम्पिटीव बिडिंग प्रक्रिया के माध्यम से लाया गया है.

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बता दें कि अर्बन एक्स्टेंशन रोडवे-II के पूरा होने के साथ, बापरोला में बनने वाला दिल्ली इलेक्ट्रॉनिक सिटी, इंदिरा गांधी हवाई अड्डे के साथ-साथ प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों जैसे NH-1, NH-10, NH-8 और NH-2 से लगभग 20 मिनट की दूरी पर होगा.

कंप्लीट इलेक्ट्रॉनिक्स वैल्यू चेन स्थापित हो

नीति में डीडीसी ने सिफारिश की है कि ग्लोबल इंडिपेंडेंट डिजाइन हाउस, प्रासंगिक स्टार्ट-अप और प्रोडक्ट डिज़ाइन में बदलाव करने वाले मूल डिजाइन निर्माताओं को साथ लाने के लिए दिल्ली में एक इलेक्ट्रॉनिक रिसर्च व डिज़ाइन फैसिलिटी भी स्थापित की जाए. डीडीसी द्वारा अनुशंसित 'इलेक्ट्रॉनिक्स डिज़ाइन विलेज' की परिकल्पना दिल्ली के इलेक्ट्रॉनिक सिटी के साथ तालमेल में काम करने के रूप में की गई है, ताकि दिल्ली में रिसर्च और डिजाइन, निर्माण और नवीनीकरण से लेकर मरम्मत-बिक्री के बाद की सेवाओं तक एक कंप्लीट इलेक्ट्रॉनिक्स वैल्यू चेन स्थापित किया जा सके.

18 अग्रणी कंपनियों के सीईओ से मांगे गए रोडमैप बनाने के इनपुट  

डीडीसी ने दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के सहयोग से जुलाई 2022 में पूरे भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लीडर्स के साथ एक स्टेकहोल्डर कंसलटेंट आयोजित किया था. जहां विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग क्षेत्रों के लिए दिल्ली को पसंदीदा गंतव्य के रूप में स्थापित करने में मदद करने के लिए एक रोडमैप बनाने के लिए उनके इनपुट मांगे गए.

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इसकी अध्यक्षता जस्मिन शाह ने की. इसमें पूरे भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में 18 अग्रणी कंपनियों के सीईओ और वरिष्ठ अधिकारियों और इलेक्ट्रिक लैंप एंड कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स (ईएलसीओएमए) और इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया जैसे उद्योग मंचों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने भाग लिया. 

इसके बाद, डीडीसी ने दिल्ली में इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन और  मेनुफैक्चरिंग यूनिट्स से इंवेस्टर्स को आकर्षित करने के लिए पांच बातों की पहचान की :

1. शॉर्ट सेटअप टाइम-  यह एक 'प्लग एंड प्ले' मॉडल में रेडी टू बिल्ड फैक्ट्रीज के साथ वाणिज्यिक उत्पादन को जल्द से जल्द शुरू करने में सक्षम बनाता है.
2. कम लीज रेंटल- एनसीआर के भीतर अन्य लोकेशन विकल्पों के साथ किफायती रेंटल.
3. प्रोडक्शन की कम लागत- अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण इकाइयों के लिए श्रम लागत परिचालन लागत का एक महत्वपूर्ण अनुपात है. विशेष रूप से महिलाओं के बीच रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए श्रम लागत को सब्सिडी देना पसंद किया जाता है.
4. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस-  लालफीताशाही और अनावश्यक नौकरशाही को खत्म करना, जो एक मैन्युफैक्चरिंग ऑपरेशन की स्थापना और संचालन दोनों से जुड़ा है.
5. नीति स्थिरता- नीति की अवधि के दौरान नीति दिशा या प्रोत्साहन में अचानक कोई बदलाव नहीं होने के साथ सरकार द्वारा अधिसूचित नीति को निरंतर समर्थन.
 

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