दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मांग की है कि गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों को दिल्ली सरकार अगले 2 साल के लिए मान्यता दे. दिल्ली सरकार के आदेश के कारण दिल्ली के 10 लाख बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है.
बीजेपी नेता ने आरोप लगाया कि उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सदन में इस विषय पर बहुत गैर-जिम्मेदाराना बयान दिया है. उन्होंने नियम 33 का हवाला देते हुए सदन में दिल्ली सरकार से मांग की है कि गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों को सरकार दो साल का समय दे ताकि वो सभी ज़रूरी औपचारिकताएं पूरी कर सकें.
विजेंद्र गुप्ता ने विधानसभा में बताया, सरकार ने आदेश दिया है कि ये स्कूल आगामी 31 मार्च के बाद बंद कर दिए जाएंगे. इनमें से ज्यादातर स्कूल अनधिकृत कॉलोनियों, पुर्नवास कॉलोनियों, झुग्गी-झौंपड़ी जैसे कमज़ोर वर्गों के रहने वाले इलाकों में हैं और इनमें गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं.
गुप्ता ने बताया कि शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत इन बच्चों का अधिकार है कि इनकी शिक्षा निर्बाध रूप से चलती रहे और इसलिए सरकार को अपने फैसले पर एक बार फिर विचार करना चाहिए. इस फैसले से इन स्कूलों में पड़ने वाले बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा. वहीं सरकार के इस आदेश से उन अभिभावकों की भी नींद उड़ गई है जिनके बच्चे इन स्कूलों में पढ़ रहे हैं.
विजेंद्र गुप्ता ने सरकार से मांग की है कि पहले गैरमान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की शिक्षा के लिए सरकार कोई वैकल्पिक प्रबंध करे और उसके बाद इन स्कूलों के बारे में फैसला ले. उन्होंने आरोप लगाया कि इन स्कूलों को अपग्रेड करने और उन्हें मान्यता देने के बारे में सरकार ने 3 साल पहले आवेदन मांगे थे, लेकिन एक भी स्कूल को स्थाई मान्यता नहीं दी गई बल्कि उन्हें एक साल के लिए अस्थाई मान्यता दी जाती रही और अब अचानक 2500 स्कूलों को बंद करने का फैसला ले लिया जिसे फिलहाल रोक देना चाहिए.
बच्चों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था
मनीष सिसोदिया ने विधानसभा में जवाब देते हुए कहा कि हाइकोर्ट के द्वारा आदेश के बाद ऐसे स्कूलों की सूची तैयार की गई है. इन स्कूलों को मान्यता प्राप्त करने के लिए आवेदन देने को कहा गया है. कोई भी स्कूल बिना मान्यता के चल रहा है तो चालान भी काटा जाता है हालांकि स्कूल और बच्चों को संख्या की ऐसी कोई जानकरी फिलहाल उपलब्ध नहीं है. सिसोदिया ने कहा कि ऐसे अमान्यता प्राप्त विद्यायल में पढ़ रहे बच्चों को नज़दीक के स्कूल में पढ़ाई के लिए भेजे जाने के आदेश शिक्षा अधिकारियों को दिए गए हैं.