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कैदियों के VIP ट्रीटमेंट पर नजर, केजरीवाल सरकार लगाएगी CCTV कैमरे

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जेलों में बंद कैदियों के वीआईपी ट्रीटमेंट रोकने और जेल प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए दिल्ली सरकार ने राजधानी की जेलों में 5000 सीसीटीवी कैमरे लगाने का फैसला किया है.

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सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो:AP)
सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो:AP)

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दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने राजधानी की जेलों में वीआईपी ट्रीटमेंट को रोकने के लिए कवायद तेज कर दी है. दिल्ली सरकार ने तीन जेलों में 5 हजार से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाने का फैसला किया है. दिल्ली कैबिनेट की मीटिंग में जेल परिसरों में सीसीटीवी कैमरों के लिए 120 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी गई है. सरकार का दावा है कि जेलों में बंद कैदियों की सुरक्षा और उनकी गतिविधियों पर नजर रखने और जेल सिस्टम में पारदर्शिता के लिए यह बड़ा कदम साबित होगा.

दिल्ली सरकार के मुताबिक अक्सर ऐसी शिकायतें सामने आती रही हैं कि दिल्ली की जेलों में प्रभावशाली लोगों को वीआईपी ट्रीटमेंट दी जाती है. इन शिकायतों को लेकर कई एजेंसियों की जांच में भी यह सामने आया है कि जेल में बंद कैदियों के साथ भेदभाव होता है और बड़े लोगों के साथ वीआईपी की तरह बर्ताव किया जाता है. इसके अलावा कैदियों की सुरक्षा के मद्देनजर भी यह बड़ा कदम है. क्योंकि जेल में कैदियों के बीच हिंसक झड़पें हो जाती हैं और इसके गंभीर परिणाम सामने आते हैं. लेकिन अब सीसीटीवी कैमरों से पूरी निगरानी रखी जा सकेगी और कोई भी वारदात होने पर समय पर उचित कदम उठाए जा सकेंगे. जेल की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता होगी और जेल प्रशासन की जवाबदेही भी बढ़ेगी.

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दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग ने इन तीनों जेल परिसरों में सीसीटीवी कैमरों के लिए डिटेल सर्वे किया है और तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेल में 5629 सीसीटीवी लगाए जाएंगे. कैबिनेट के मुताबिक तय किए गए बजट में ही ये कैमरे लगाए जाएंगे और किसी भी सूरत में बजट नहीं बढ़ाया जा सकेगा.

सरकार का कहना है कि सीसीटीवी कैमरों से जेल परिसरों की सुरक्षा और मजबूत होगी.  इसमें 5 सालों के लिए रखरखाव की व्यवस्था की गई है. मेन कंट्रोल रूम और जेल कंट्रोल रूम में 30 दिनों का बैकअप रहेगा. तीनों जेलों में अधिकतर एरिया को सीसीटीवी से कवर किया जाएगा. इसी के साथ जेलों को हाईटेक सिक्यूरिटी सिस्टम से जोड़ा जा रहा है. सभी कैमरे सॉफ्टेयर से कनेक्ट होंगे और यह डबल डाटा मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़ा रहेगा. जेल के सुप्रीटेंडेंट के अलावा डीजी जेल के पास भी यह डाटा उपलब्ध रहेगा.

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