दिल्ली सरकार और अधिकारियों के बीच एक बार फिर विवाद शुरू हो गया. विवाद इस बात को लेकर है कि दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार पर द्वारका एक्सप्रेस वे में भूमि अधिग्रहण में हेरफेर के आरोप लगे हैं. नरेश कुमार पर आरोप है कि उन्होंने भूमि अधिग्रहण में हेरफेर कर अपने बेटे को 315 करोड़ का फायदा पहुंचाया है. जिसके बाद एक बार फिर सरकार और अधिकारी आमने सामने आ गए हैं.
चीफ सेक्रेटरी के बचाव में उतरे डिविजनल कमिश्नर
चीफ सेक्रेटरी की बचाव में सीनियर आईएएस ऑफिसर अश्विनी कुमार सामने आए हैं. आरोपों से घिरे सचिव नरेश कुमार को एडिशनल सचिव अश्वनी कुमार का साथ मिला है. उन्होंने ऐसे आरोप को बेबुनियाद और झूठा बताया है. और कहा है कि मुख्य सचिव का चरित्र हनन किया जा रहा है. जो कि राजनीति से प्रेरित है. अश्विनी कुमार ने मीडिया से बातचीत कर बताया कि नरेश कुमार के ऊपर लगाए गए सारे आप गलत हैं, उनके साथ डर्टी पॉलिटिक्स की जा रही है.
अश्विनी कुमार ने आज तक के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार पिछले लंबे वक्त से दिल्ली सरकार के खिलाफ अलग-अलग मंत्रालयों में हो रहे गड़बड़ियों का खुलासा करते रहे हैं. चाहे वो शराब घोटाला हो, स्कूलों की बिल्डिंग का घोटाला हो या फिर मुख्यमंत्री आवास के रिनोवेशन का मुद्दा. इन सब पर मामलों पर जांच एजेंसी जांच भी कर रही है. यही वजह है जिसके कारण उनका कैरेक्टर एसासिनेट किया जा रहा है.
चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार के समर्थन में उतरे डिविजनल कमिश्नर अश्विनी कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि प्रेस कांफ्रेंस करने का मकसद, दरअसल इसलिए है कि कई तरह की गलतफहमी और झूठ फैलाए जा रहे हैं. इसलिए, यह जरूरी है कि जो तथ्य रिकॉर्ड पर हैं, उनको सबके सामने लाया जाए और सच्चाई लोगों तक पहुंच जाए.
अश्विनी कुमार ने समझाया क्या है पूरा मामला
डिवीजन कमिश्नर अश्विनी कुमार ने मीडिया से बातचीत करते हुए पूरा मामला समझाया. उन्होंने बताया कि असल में साउथ वेस्ट दिल्ली के द्वारका एक्सप्रेस वे के लिए जमीन अधिग्रहण की जानी थी. आज से 5 साल पहले 2018 में बमनोली गांव में 19 एकड़ के भूखंड का अधिग्रहण करने के लिए 41.5 करोड़ का मुआवज तय हुआ था. लेकिन उसी साल तब के डीएम हेमंत कुमार ने मुआवजे की रकम बढ़ा दी और उसे 353 करोड़ कर दिया. मतलब सीधे रकम 9 गुना तक बढ़ गई.
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को इसमें गड़बड़ का अंदेशा हुआ और इसके ऑडिट कराने के लिए कहा गया तो पता चला कि एक किलोमीटर की लागत 18 करोड़ रुपये से बढ़कर 251 करोड़ की गई. ये ऑर्डर उसे वक्त के डीएम हेमंत कुमार द्वारा दिया गया. खुद चीफ सेक्रेटरी और डिविजनल कमिश्नर ने हेमंत कुमार को बार-बार इस आर्डर को वापस लेने का आदेश दिया. इसके बाद यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा.
हाई कोर्ट ने डीएम हेमंत कुमार के आर्डर को रद्द कर दिया. अश्विनी कुमार ने बताया कि इस पूरे ऑर्डर में कहीं कोई पेमेंट किसी भी कंपनी को नहीं दी गई. ऐसे में जो आरोप सेक्रेटरी और उनके परिवार पर लगाए गए हैं वह बेहद गलत हैं.