दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने केंद्र से फिर सीधी टक्कर ले ली है. 'घर-घर राशन' योजना पर रोक लगना केजरीवाल सरकार के लिए बड़ा झटका है और वे पूरी तरह से केंद्र को इसके लिए जिम्मेदार बता रहे हैं. जिस योजना के तहत लोगों को घर पर ही राशन देने की सुविधा दी गई थी, अभी के लिए उस पर रोक लगा दी गई है. तर्क तो कई दिए गए हैं, दिल्ली सरकार इसे सिर्फ राजनीति का नाम दे रही है.
घर घर राशन योजना सीएम केजरीवाल का एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट जिसकी तैयारी आज से नहीं बल्कि तीन साल पहले से चल रही है. इस योजना का पहले नाम 'मुख्यमंत्री घर घर राशन' योजना रखा गया था. लेकिन बाद में क्योंकि केंद्र ने इस योजना के नाम पर ही आपत्ति जाहिर कर दी, उसके बाद योजना का नाम घर-घर राशन योजना कर दिया गया. लेकिन अब एक बार फिर केंद्र ने इस योजना पर रोक लगा दी है और आप को सरकार पर निशाना साधने का एक और मौका मिल गया है.
'घर-घर राशन' योजना का लेखा-जोखा
जानकारी दी गई है कि 2018 से, दिल्ली सरकार ने केंद्र को कम से कम छह पत्र लिखकर योजना के बारे में जानकारी दी थी. वहीं केंद्र सरकार के सभी सुझावों को स्वीकृति के बाद दिल्ली सरकार ने 24 मई 2021 को एलजी को अंतिम स्वीकृति और योजना के तत्काल लागू के लिए फाइल भेजी थी, लेकिन एलजी ने यह कहते हुए फाइल वापस कर दी कि यह योजना दिल्ली में लागू नहीं की जा सकती. एलजी ने अपनी तरफ से दो बड़े तर्क दिए हैं. उनकी तरफ से जोर देकर कहा गया है कि इस योजना को केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया है और यह कि योजना के खिलाफ कोर्ट में एक मामला चल रहा है. इसी वजह से उनकी तरफ से फाइल को वापस भेज दिया गया.
आम आदमी पार्टी ने बताया राजनीति से प्रेरित
लेकिन इस बार केजरीवाल सरकार आक्रमक रुख अपना रही है. एलजी के तमाम तर्कों को खारिज करते हुए आप नेता इमरान हुसैन ने कहा है कि अदालत में चल रहे मामले के कारण इस क्रांतिकारी योजना के लागू होने से रोकना समझ से परे है. इस मामले पर पहले ही दो सुनवाई हो चुकी हैं और कोर्ट द्वारा कोई स्टे आदेश नहीं दिया गया है. इसके अलावा, केंद्र सरकार उसी मामले में एक पार्टी भी है और अपने हलफनामे में भी केंद्र ने इस योजना को शुरू करने पर आपत्ति नहीं की है. तथ्य यह है कि एलजी इस क्रांतिकारी योजना के रोलआउट को रोकने के लिए इस मामले का हवाला दे रहे हैं, यह स्पष्ट करता है कि निर्णय राजनीति से प्रेरित है.
क्या है ये योजना?
बता दें कि केजरीवाल की इस नई योजना के तहत प्रत्येक राशन लाभार्थी को 4 किलो गेहूं का आटा, 1 किलो चावल और चीनी अपने घर पर प्राप्त होना था. वहीं इसी योजना के जरिए राशन कार्ड उपयोगकर्ताओं के बायोमेट्रिक और आधार सत्यापन के साथ-साथ राशन की डोरस्टेप डिलीवरी शुरू होनी थी. प्रस्तावित किया गया था कि जब कोई डिलीवरी एजेंट डिलीवरी के लिए लाभार्थी के घर जाएगा, तो बायोमेट्रिक सत्यापन के बाद ही राशन दिया जाएगा.
केंद्र की क्या आपत्ति?
राज्य सरकार की तरफ से इस बात पर भी जोर दिया गया था कि भारत में राशन वितरण वर्तमान में कई समस्याओं से त्रस्त है. काम के समय अक्सर राशन की दुकानों को बंद पाया जाना, खाद्यान्न की खराब गुणवत्ता, राशन डीलरों द्वारा कम राशन देना, राशन की दुकानों के कई चक्कर लगाना, राशन की कालाबाजारी करना आदि कुछ समस्याएं हैं. इसी वजह से घर-घर राशन योजना को लाने की बात कही गई थी. लेकिन केंद्र ने शुरुआत से ही साफ कर दिया था कि उन्हें इस योजना से दो आपत्ति थीं. एक तो ये कि एनएफएस अधिनियम 2013 के तहत प्रदान किए जा रहे खाद्यान्न का उपयोग किसी राज्य-विशिष्ट योजना को चलाने के लिए नहीं किया जा सकता है, और (2) दिल्ली सरकार द्वारा एनएफएसए खाद्यान्न के वितरण के लिए नए नामकरण या योजना के नाम के उपयोग की अनुमति नहीं है.
इस पूरी योजना की टाइमलाइन समझिए
अब केंद्र की आपत्ति और आम आदमी पार्टी का पक्ष इस योजना को काफी विवादित बना देता है और इसे समझने के लिए पूरी टाइमलाइन जानना काफी जरूरी है. एक नजर घर-घर राशन योजना की टाइमलाइन पर-
-6 मार्च 2018 को, दिल्ली कैबिनेट ने राशन प्रणाली की डोर स्टेप डिलीवरी को लागू करने का निर्णय लिया.
- 21 जुलाई 2018 को मंत्रिपरिषद ने योजना में कुछ संशोधनों को मंजूरी दी और योजना का नाम ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ रखने का फैसला किया.
- मंत्रिपरिषद ने 09 नवंबर 2020 को योजना के कुछ कार्यान्वयन पहलुओं पर विचार किया और योजना को दो चरणों में विभाजित करने का निर्णय लिया.
- 20 फरवरी 2021 को, कैबिनेट निर्णय के अनुसार योजना को ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ नाम के तहत अधिसूचित किया गया था, जिसमें तीन कैबिनेट निर्णयों की मुख्य विशेषताएं शामिल थीं.
- भारत सरकार ने 19-03-2021 के अपने पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत वितरण के लिए उनके द्वारा आवंटित किए जा रहे रियायती खाद्यान्न का उपयोग एनएफएसए के अलावा अन्य नाम या नामकरण के तहत किसी राज्य विशिष्ट या नामकरण के संचालन के लिए नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इस अधिनियम के अंतर्गत इसकी अनुमति नहीं है.
- मंत्रिपरिषद ने अपने निर्णय संख्या 24 मार्च 2021 के माध्यम से 20 फरवरी 2021 को अधिसूचित योजना ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना को रद्द करने का निर्णय लिया, हालांकि कैबिनेट द्वारा अपने पिछले निर्णयों के माध्यम से तय किए गए राशन की डोरस्टेप डिलीवरी को एनएफएसए 2103 और टीपीडीएस के अनुसार जारी रखी गई थी.
- 2 जून 2021 को, एलजी ने यह कहते हुए फाइल वापस कर दी कि योजना को लागू नहीं किया जा सकता है.
आम आदमी पार्टी दावा कर रही है कि उनकी तरफ से केंद्र की तमा आपत्तियों का समाधान निकाल लिया गया था और उसके बाद ही दोबारा एलजी के पास इस योजना की फाइल भेजी गई थी. लेकिन अभी के लिए फिर घर-घर राशन योजना राजनीति का शिकार हो गई है और इसे लागू नहीं किया जा रहा है.