'आम आदमी' बनकर दिल्ली की सत्ता संभालने वाले अरविंद केजरीवाल ने कभी वीआईपी कल्चर का विरोध किया था. लेकिन उनकी ही सरकार अब अधिकारियों को मंत्रियों, विधायकों और पार्टी के सांसदों से अदब से पेश आने की नसीहत दे रही है. यही नहीं, इसके लिए बकायदा एक सूची जारी की गई है जिसमें आम से खास हुए लोगों के प्रति अफसरों के शिष्टाचार की इबारत लिखी है.
यह दिलचस्प है कि कभी मंत्रियों की गाड़ी और आवास से लेकर तमाम ऐसी सुविधाओं से खुद और पार्टी को दूर रखने की बात करने वाली दिल्ली सरकार, अब राजसुख के नए मायने तलाश रही है. एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, इस नए आदेश में कहा गया है कि अधिकारियों को सांसदों, विधायकों के प्रति सबसे पहले शिष्टाचार दिखाना चाहिए. यही नहीं, अफसरों से कहा गया है कि जन प्रतिनिधियों के आगमन पर वह खुद जाकर उनका स्वागत करें और बाद में उन्हें छोड़ने भी जाएं.
अब तैयारियों पर भी ध्यान रखेंगे अधिकारी
दिल्ली सरकारी के इस आदेश में लिखा गया है कि अधिकारी सांसदों, विधायकों के आगमन से पहले उनके लिए सारी तैयारियां भी करेंगे. इसमें जन प्रतिनिधियों के लिए कार्यक्रम के दौरान बैठने की उचित व्यवस्था भी अधिकारियों के जिम्मे होगी.
इस आदेश के बारे में जब पूर्व चीफ सेक्रेटरी ओमेश सहगल से बात की गई थी तो उन्होंने कहा कि सभी गाइडलाइंस सर्विस रूल्स के मुताबिक हैं. लेकिन बड़ा सवाल यह कि जिस संस्कृति के खिलाफ नारे लगाकर केजरीवाल सत्ता में आए और राजनीति से लेकर सियासत की दिशा-दशा बदलने की बात की, आखिर साल भर बाद ही वह संस्कृति उन्हें रास कैसे आने लगी.
और क्या कुछ लिखा है केजरीवाल सरकार के आदेश में-
- अधिकारियों से कहा गया है कि वह किसी व्यक्तिगत काम के लिए सांसद, विधायकों या मंत्रियों से संपर्क नहीं करेंगे.
- किसी सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान अधिकारी भी जन प्रतिनिधियों को आमंत्रित करेंगे.
- मंत्री और सेक्रेटरी को संबोधित करके लिखे गए पत्रों का जवाब वहीं देंगे और अगर मंत्री नहीं हैं तो उसका जवाब सेक्रेटरी देंगे. कोई भी जवाब प्री-प्रिंटेड या बना बनाया नहीं होगा.
- जन प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए किसी भी टेलीफोनिक संदेश को अधिकारियों द्वारा नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.