दिल्ली सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान शवों के निपटारे के लिए एक SOP (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी की है. लेकिन क्या यह गाइडलाइन सभी तरह के मृत शरीर के लिए है? नहीं, कोविड-19 प्रोटोकॉल केवल उन्हीं शवों पर लागू होता है जिनकी मौत से पहले कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आई हो. या फिर जब उन्हें अस्पताल मे भर्ती कराया गया हो तो डॉक्टर ने उन्हें लक्षणों के आधार पर कोरोना संक्रमित करार दिया हो.
सबसे महत्वपूर्ण SOP यह है कि मृत शरीर से कोविड-19 टेस्ट का सैंपल नहीं लिया जाएगा. हालांकि चिकित्सकीय परीक्षण के दौरान डॉक्टर अगर इस बात से संतुष्ट होता है कि शख्स की मौत कोरोना संक्रमण से हुई है तो उस शरीर को कोरोना संदिग्ध मानकर भेज सकता है. गाइडलाइन में चार परिदृश्यों (मौजूदा स्थिति) का जिक्र किया गया है. लेकिन चौथे परिदृश्य पढ़ने के बाद दिल्ली सरकार की गाइडलाइन विरोधाभासी नजर आती है.
चौथे परिदृश्य में कहा गया है कि सार्वजनिक स्थान पर कोई लावारिश मृत शरीर मिलता है या मौत किसी भी तरह से कोरोना संक्रमण के दायरे में नहीं आती है तो दिल्ली पुलिस या स्थानीय निकाय मामले को देखेगी.
हालांकि इस परदृश्य में जिस बात का जिक्र किया गया है उसमें दिक्कत यह है कि अगर सार्वजनिक जगह पर किसी व्यक्ति की लावारिश लाश मिलती है तो बिना जांच किए कैसे पता चलेगा कि वह शख्स कोरोना संक्रमित था या नहीं? क्योंकि SOP में स्पष्ट कहा गया है कि मृत शरीर का कोविड-19 टेस्ट सैंपल नहीं लिया जाएगा.
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ये हैं चार परिदृश्य
परिदृश्य 1- अगर किसी शख्स की मौत अस्पताल में हुई हो या कोविड 19 मरीज मृत अवस्था में अस्पताल पहुंचा हो तो प्रशासन सिर्फ निपुण हेल्थवर्कर को ही शव को पैक करने के काम में लगाए. साथ ही अस्पताल ही श्मशान घाट या कब्रगाह तक मृत शरीर को पहुंचाने के लिए शव वाहन दे. जिससे कि मृत शरीर से संक्रमण ना फैले. भारत सरकार की गाइडलाइन को मानते हुए परिजनों को पूरी तरह से पैक की गई डेड बॉडी ही दी जाएगी. अगर किसी केस में कोई परिजन नहीं मिलता है तो अस्पताल उसे ठीक से पैक कर और कीटाणुशोधन कर लाश-घर में रख देगा. उस शव का ऑटोप्सी किया जाएगा कि नहीं यह फैसला अस्पताल लेगा.
शव वाहन को लाश पहुंचाने के बाद एक निश्चित स्थान पर लाकर प्रोटोकॉल मानते हुए उसका कीटाणुशोधन किया जाएगा. तभी उसका दोबारा प्रयोग किया जा सकता है.
परिदृश्य 2- यदि किसी कोरोना पॉजिटिव शख्स की मौत कोविड केयर सेंटर, कोविड हेल्थ सेंटर या कोविड टेस्टिंग सेंटर में होती है तो भी संबंधित अस्पताल प्रशासन को ही उसकी देखभाल करनी होगी. सिर्फ उनके लिए शव वाहन की व्यवस्था डीएम (जिलाधिकारी) करेगा. जिससे कि शव को संबंधित अस्पताल से उठाकर श्मशान गृह या कब्रगाह तोक छोड़ा जा सके. उसके बाद शव वाहन को दोबारा प्रयोग करने से पहले एक निश्चित स्थान पर लाकर कीटाणुशोधन करना होगा.
परिदृश्य 3- यदि किसी कोरोना पॉजिटव शख्स की मौत हेल्थ केयर से बाहर घर पर होती है तो परिजनों को इस बात की जानकारी डीएम (जिलाधिकारी) को फोन पर बतानी होगी. उसके बाद डीएम नजदीकी अस्पताल को फोन कर इस बात की जानकारी देगा. उसके बाद मृत शरीर को पैक करने और कीटाणुशोधन करने की जिम्मेदारी अस्पताल की होगी और शवदाह गृह या कब्रगाह पहुंचाने की जिम्मेदारी जिलाधिकारी की.
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परिदृश्य 4- अगर सार्वजनिक स्थान पर कोई लावारिश मृत शरीर मिलता है. यदि मौत किसी भी तरह से कोरोना संक्रमण के दायरे में नहीं आती है तो दिल्ली पुलिस या स्थानीय निकाय मामले को देखेगी.