चाय-पकौड़े जैसे नाश्ते में आप कितना पैसा खर्च करते हैं? सौ-पचास रुपए. इससे ज्यादा नहीं. लेकिन अगर यही नाश्ता दिल्ली सरकार करवाए तो आठ दिन का बिल आता है आठ लाख रुपये.
याद कीजिए, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का वह चर्चित बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि 600 रुपये में पांच आदमी महीने में आराम से खा सकते हैं. ये बयान बहुत पुराना नहीं है. शीला दीक्षित ने 600 रुपए महीने का जो आंकड़ा बनाया उसके हिसाब से एक दिन में 4 रुपये में एक आम आदमी खाना खा सकता है. अब कैसे खा सकता है, ये तो शीला सरकार ही जाने, लेकिन जब खुद खर्च करने की बात आती है तो आठ दिन में महज नाश्ते पर ही आठ लाख रुपए खर्च कर देती हैं. ये खुलासा एक आरटीआई से हुआ है.
2012 में शीला सरकार ने तालकटोरा स्टेडियम में भागीदारी वर्कशाप का आयोजन किया था. इसमें करीब 300 लोगों ने हिस्सा लिया. आठ दिन तक चली इस वर्कशाप में नाश्ते में सिर्फ चाय और पकौड़े पर आठ लाख रुपये खर्च कर दिए गए. जहां शीला सरकार ने गरीबों के लिए आठ दिन का खाना 32 रुपये में खिलाने का दावा किया, वही सिर्फ चाय और पकौड़े पर ही एक आदमी पर करीब 2666 रुपये खर्च कर दिए. साफ है कि दूसरों को उपदेश देने वाली सरकार टैक्स देने वालों का पैसा कैसे बर्बाद करती है.
पूछे जाने पर शीला दीक्षित ने कहा कि मुझे नहीं पता किसने आरटीआई किया और किसने क्या जवाब दिया. सरकार ने कितना खर्च किया? इस पर मुख्यमंत्री साहिबा ने कोई माकूल जवाब नहीं दिया. वहीं, चुनावी मौसम में विपक्ष कैसे न इस पर सवाल खड़े करे. बीजेपी नेता डा. हर्षवर्धन ने इस मसले पर सरकार को घेरा है.