दिल्ली सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों, फूड डिलीवरी सर्विसेज और कैब एग्रीगेटर्स को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों पर स्विच करने के लिए कहने जा रही है. इसका उद्देश्य वायु प्रदूषण की जांच के लिए 2024 तक कुल वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी को 25 प्रतिशत तक बढ़ाना है. साथ ही सरकार डीलरों और पेट्रोल पंपों को प्रदूषण-अंडर-चेक (पीयूसी) प्रमाण पत्र के बिना वाहनों को ईंधन नहीं देने के लिए भी कहने जा रही है.
'पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों पर स्विच करें एग्रीगेटर्स'
एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि शहर के वायु प्रदूषण में व्हीकल एमीशन का हिस्सा लगभग 40 प्रतिशत है. "सरकार वाहनों के प्रदूषण की जांच के लिए दो बड़े कदम उठाने जा रही है. हम ज़ोमैटो, स्विगी, ओला, उबर आदि सहित सभी एग्रीगेटर्स को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों पर स्विच करने के लिए कहेंगे. दिल्ली में पंजीकृत वाहनों में इन सेवाओं की हिस्सेदारी 30 फीसदी है.'
'पीयूसी प्रमाणपत्र के बिना ईंधन न देने पर भी विचार'
उन्होंने कहा, "हम डीलरों और पेट्रोल पंपों को (वैध) पीयूसी प्रमाणपत्र के बिना वाहनों को ईंधन की आपूर्ति नहीं करने का निर्देश देने पर भी विचार कर रहे हैं." इस संबंध में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत निर्देश इस सप्ताह जारी होने की उम्मीद है. परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा. हम जल्द ही ड्राफ्ट गाइडलाइंस पब्लिश करेंगे."
'बैटरी स्वैपिंग इंफ्रस्ट्रक्चर पर हो सकती है चर्चा'
अधिकारी ने बताया कि इलेक्ट्रिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के अलावा, परिवहन विभाग निजी क्षेत्र में बैटरी स्वैपिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर चर्चा शुरू कर सकता है." इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड ने राजधानी में सीएनजी पंपों पर 50 बैटरी स्वैपिंग स्टेशन स्थापित करने का भी निर्णय लिया है. स्वैपेबल बैटरी वाले इलेक्ट्रिक वाहन काफी सस्ते होते हैं.
'वाहन बिक्री में EV को 25% तक बढ़ाने का लक्ष्य'
उन्होंने कहा, "सबसे मश्किल कैटेगरी दोपहिया वाहनों की है. हमने वाहन एग्रीगेटरों के साथ एक संवाद शुरू किया है ताकि हम यह देख सकें कि कैसे हम उन्हें इलैक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की ओर ले जाने के लिए एक कोशिश कर सकते हैं." अगस्त 2020 में पेश की गई दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत 2024 तक कुल वाहन बिक्री में ईवी हिस्सेदारी को 25 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य है. ऐसे में केवल फ्लिपकार्ट (2030 तक) और फेडेक्स (2040 तक) ने अपने लास्ट-मील डिलीवरी फ्लीट को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने के लिए दुनिया भर में लक्ष्य स्थापित किए हैं, जबकि डीएचएल ने अपने फ्लीट के लिए 60 प्रतिशत विद्युतीकरण लक्ष्य निर्धारित किया है.
'वैध पीयूसी नहीं रखने वालों पर लगेगा जुर्माना'
अक्टूबर में, सरकार ने पीयूसी प्रमाणपत्रों की जांच के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया और इस उद्देश्य के लिए पेट्रोल पंपों पर लगभग 500 टीमों को तैनात किया. मोटर वाहन अधिनियम, 1993 की धारा 190 (2) के तहत, वैध पीयूसी नहीं रखने वाले वाहन मालिकों पर जुर्माना लगाया जा सकता है. इसमें 10,000 रुपये तक, या छह महीने तक की कैद या दोनों हैं. मालिकों को यह पता लगाने के लिए अपने वाहनों का परीक्षण करवाना आवश्यक है कि क्या वे कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषकों के उत्सर्जन मानकों को पूरा करते हैं.
रद्द होगा 10 साल पूरे करने वाले डीजल वाहनों का पंजीकरण
साथ ही, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अनुसार दिल्ली सरकार 1 जनवरी, 2022 को 10 साल पूरे करने वाले सभी डीजल वाहनों का पंजीकरण रद्द कर देगी और अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करेगी ताकि उन्हें अन्य जगहों पर फिर से पंजीकृत किया जा सके. स्विस एयर टेक्नोलॉजी कंपनी, आईक्यूएयर के अनुसार, दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है और जनसंख्या के मामले में सबसे तेजी से विस्तार करने वाले शहरों में से एक है. ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया और द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट द्वारा 2018 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में पीएम 2.5 उत्सर्जन में वाहनों का योगदान लगभग 40 प्रतिशत है.