दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार ने 'आम आदमी बस' चलाने का फैसला किया तो विवाद के साथ साथ कई सवाल भी खड़े हो गए क्योंकि कई दावों के बाद भी पिछले डेढ़ साल में डीटीसी बसों की कमी को पूरा करने में सरकार नाकाम रही है.
दिल्ली के परिवहन मंत्री सतेंद्र जैन से 'आज तक' ने खास बातचीत की. ऑड इवन के 2 चरण गुजर जाने के बाद भी देश की राजधानी में परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने का कोई प्लान नजर नहीं आ रहा है. एक तरफ डीटीसी बसों की भारी कमी है तो दूसरी तरफ दिल्ली वालों को मजबूत लास्ट माइल कनेक्टिविटी देने का कोई हल नहीं निकल पाया है. इस बीच सरकार अपनी पार्टी का प्रचार करने में जुट गई है. दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग 8 अगस्त से ट्रायल रन पर 'आम आदमी बस' की सेवा शुरू करने जा रहा है.
आम आदमी बस के बारे में बताते हुए जैन कहते हैं कि विकासपुरी से वजीराबाद तक सिग्नल फ्री कॉरिडोर बन गया है, विकासपुरी से सराय काले खां तक 40 किलोमीटर का रूट है जिसमे प्रॉपर बस सर्विस नहीं है. पहली बार इसमें बस सर्विस चलाई जा रही है, कोशिश है कि 5 से 6 मिनट की सर्विस हो, ताकि बस स्टॉप पर जाते ही बस मिले, और इंतजार न करना पड़े. विकासपुरी से सराय काले खां में दोनों साइड, जिस तरह रिंग रोड पर बस चलती है, उसी तरह 40 किलोमीटर पर ये सर्विस होगी. अभी ड्राई रन चल रहा है, ठीक रहा तो जल्द ही 20 से 25 बसें शुरू की जाएंगी.
ट्रंक फीडर बसें चलाने की तैयारी में सरकार हालांकि दिल्ली में डीटीसी बसों की कमी के बीच 'आम आदमी बस' की शुरुआत और पार्टी की छवि चमकाने के सवाल पर परिवहन मंत्री सतेंद्र जैन का कहना है कि मैं भी आम आदमी हूं, खास आदमी बनके क्या करना है. उनके मुताबिक, 'दिल्ली में सरकार ट्रंक फीडर बस चलाने की तैयारी कर रही हैं. ट्रंक रूट पर बस सर्विस 5 या 3 मिनट की होगी. इन्हीं रोड पर फीडर बस भी चलाई जाएंगी ताकि कॉलोनी में रहने वाले लोगों को फायदा हो सके.'
क्यों घाटे में है डीटीसी?
परिवहन मंत्री ने बताया कि पहले जो AC बसों का टेंडर हुआ वो बसें बड़े साइज में उपलब्ध नहीं थी, लेकिन लगभग 100 नई बसें डिम्ट्स की आई हैं. दिल्ली के कई
इलाकों में डीटीसी बसों की वजह से सरकार को घाटा हो रहा है. जिसकी एक बड़ी वजह डीटीसी बसों का बड़ा साइज है. सतेंद्र जैन घाटे की वजह और बस का पूरा हिसाब
देते हुए बताते हैं, 'बहुत से रूटों पर 10 रुपये प्रति किलोमीटर का रेवेन्यू आ रहा है जबकि 10 से ज्यादा रुपये तो ऑटो वाला ले लेता है. बस में 20 रुपये की गैस आ
जाती है. प्रति किलोमीटर 30 से 35 रुपये खर्चा पड़ता है. ये वो छोटी सड़कें हैं, जहां बड़ी बस चलने से जाम लग जाता है.'
साल के अंत तक 1500 से 2 हजार बसें आने का दावा
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली सरकार के पास करीब 6055 बसें हैं. इसमें लगभग 4555 बसें डीटीसी और 1500 बसें क्लस्टर की हैं. फिहाल केजरीवाल सरकार
टेंडर फेल होने का हवाला देते हुए ये वादा कर रही है कि साल के अंत तक 1500 से 2000 बसें और आ जाएंगी. साथ ही 1000 प्रीमियम बसों का मसला भी उप
राज्यपाल के पास है. सरकार के मुताबिक, प्रीमियम बसों पर जनता से राय ली जा चुकी है और जल्द ही केजरीवाल सरकार रिव्यू करके इसका प्रस्ताव उप राज्यपाल को
भेजने की तैयारी कर रही है.