दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑल इंडिया गेस्ट टीचर्स एसोसिएशन के प्रेजिडेंट प्रवीण कुमार को निकाले जाने को लेकर दिल्ली सरकार को नोटिस देकर ज़वाब मांगा है. प्रवीण कुमार ने हाईकोर्ट मे याचिका लगाई है कि 16 अप्रैल को बिना कारण बताये दिल्ली सरकार ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया है.
प्रवीण कुमार का आरोप है कि क्योंकि वो 17000 गेस्ट टीचर्स को परमानेंट कराने के लिए दिल्ली सरकार के खिलाफ गेस्ट टीचर्स के साथ प्रदर्शन कर रहा है, इस वजह से उसे निकाल दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होगी.
गेस्ट टीचर्स को मिलते हैं 700-900 रुपये
दिल्ली मे गेस्ट टीचर्स को रखने का सिलसिला 2009 मे उस वक्त शुरू हुआ जब कोर्ट ने राईट टू एजुकेशन लागू कर दिया और उसके बाद दिल्ली के सरकारी स्कूलों मे टीचर्स की भर्ती करना सरकार के लिए अनिवार्य हो गया. सरकार अगर परमानेंट टीचर रखती तो करीब एक टीचर को 35 से 40 हजार रूपए देने पड़ते. लेकिन 2009 में इन टीचर्स को 7 से 12 हजार रुपए देकर रख लिया गया. फिलहाल प्रतिदिन इन गेस्ट टीचर्स को करीब 700 से 900 रूपए दिए जाते है. लेकिन सिर्फ उतने दिन का जितने दिन वो पढ़ाने आते हैं, हफ्ते की छुट्टी का भी कोई पैसा नहीं दिया जाता.
दिल्ली के स्कूलों में 49 हजार टीचर्स गेस्ट टीचर्स
2009 से अब तक गेस्ट टीचर्स की तादाद 17 हजार हो चुकी है जबकि परमानेंट टीचर्स करीब 32 हजार हैं. ये 49 हजार टीचर्स दिल्ली के एक हजार सोलह स्कूलों में नियुक्त किए गए हैं. सोचिये की जब लाखों बच्चों को पढ़ाने वाले इन गेस्ट टीचर्स का खुद का भविष्य ही अधर में हो तो वो बच्चों को बेहतर भविष्य के लिए कैसे तैयार कर पायेंगे. ये दिल्ली सरकार के लिए अहम सवाल होना चाहिए जो शिक्षा का बजट दुगना करने का दावा कर रही है.