पश्चिमी दिल्ली और आउटर दिल्ली के इलाकों में अधिकांश हरियाणा के लोग रहते हैं. ऐसे में माना जा रहा है जिस तरह से हरियाणा में कांग्रेस का प्रदर्शन सुधरा है तो क्या यह दिल्ली के लिए खतरा है. माना जाता है कि आम आदमी पार्टी का वोट बैंक वही है जो कभी कांग्रेस का हुआ करता था.
ऐसे में अगर मान लें कि दिल्ली में भी कांग्रेस की स्थिति बेहतर होती है तो क्या आम आदमी पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा या फिर त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी को फायदा हो सकता है.
इन सभी कयासों पर विराम लगाते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने बयान में कहा है, 'दिल्ली की जनता समझदार है हरियाणा के चुनाव का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.'
दिल्ली में सियासी माहौल
दिल्ली में सभी पार्टियों ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है लेकिन गुरुवार को आए हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद दिल्ली में सियासी माहौल और भी गरमाने वाला है. मई में आए लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी की जो लहर दिख रही थी, वो महाराष्ट्र और हरियाणा में कमजोर पड़ती दिखी है. विपक्षी पार्टियों को जीत बेशक न मिली हो लेकिन प्रदर्शन में आए सुधार ने विरोधियों की उम्मीद जरूर जगा दी है.
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी नेताओं के लिए भी आने वाला दिल्ली चुनाव आसान नहीं होगा, ये संकेत गुरुवार को आए विधानसभा चुनावों के नतीजों में साफ दिखता है. बीजेपी शायद इस बात को पहले ही भांप चुकी है, इसलिए रिजल्ट आने से एक दिन पहले ही अनधिकृत कॉलोनियों को तोहफा देने की घोषणा की गई.
लोकसभा चुनाव में दिखी थी बीजेपी की लहर
हरियाणा का असर दिल्ली की पॉलिटिक्स पर पड़ता है, इसलिए मई लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी ने हरियाणा में दस की दस सीटें जीती, दिल्ली में भी पार्टी को सात की सात सीटों पर जीत हासिल हुई. बीजेपी को कुल वोट का 58% हरियाणा में हासिल हुआ तो दिल्ली में कुल वोट का 56% पार्टी को मिला था. लेकिन 5 महीने के भीतर बीजेपी का 22 फीसदी वोट नीचे खिसक कर 36.4 फीसदी पर पहुंच गया है. साफ है, लोगों ने लोकल मुद्दों पर वोट किया.
उम्मीद की जा रही है कि अब दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल लोकसभा चुनाव में हार के बाद लगातार एक के बाद एक बिजली, डीटीसी, पर्यावरण, डेंगू जैसे लोकल मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं.
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