दिल्ली के गाजीपुर मुर्गा मंडी में मुर्गा काटने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. हाइकोर्ट के आदेश के बाद गाजीपुर मंडी में सिर्फ मुर्गा बेचने की ही इजाजत होगी. यानि अब गाजीपुर मुर्गा मंडी में जिंदा मुर्गा ही खरीदा या बेचा जा सकेगा.
दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश सामाजिक कार्यकर्ता गौरी मौलेखी की उस याचिका पर आया है जिसमें शिकायत की गई थी कि गाजीपुर मुर्गा मंडी में ''एनिमल वेलफेयर लॉ'' का खुला उल्लंघन हो रहा है. यह ना सिर्फ वहां काम करने वाले लोगों बल्कि मुर्गों के लिए भी बेहद खतरनाक हालात पैदा करता है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि मुर्गों को काटने से पहले उनका किसी तरह का कोई चेकअप भी नहीं होता है. इस बारे में कोई जानकारी नहीं ली जाती है कि मुर्गा बीमार है या स्वस्थ्य. हाईकोर्ट में लगाई गई इस याचिका में कहा गया था कि गाजीपुर मुर्गा मंडी में स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद खराब हालात हैं. मुर्गा काटने से कई तरह की बीमारी और महामारी पनप सकती हैं. दिल्ली हाईकोर्ट में राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की तरफ से एक हलफनामा भी दाखिल किया गया था.
डीपीसीसी ने पहले ही दिया था आदेश
हलफनामे में बताया गया था कि इसी साल अप्रैल में गाजीपुर मुर्गा मंडी में मुर्गे के काटने पर बोर्ड ने पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. लेकिन दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ( डीपीसीसी) के आदेश का पालन ना होने की स्थिति में हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई. इस पर कोर्ट ने डीपीसीसी के आदेश को तुरंत प्रभाव से लागू करने के आदेश दिए हैं.
डीपीसीसी ने दिल्ली हाईकोर्ट को दी अपनी रिपोर्ट में गाजीपुर मुर्गा मंडी के हालात के बारे में विस्तृत जानकारी दी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मुर्गे को काटने के बाद बचे हुए अवशेषों को वहीं छोड़ दिया जाता है जिससे आसपास के पूरे इलाके में गंदगी और भारी दुर्गंध रहती है. जगह-जगह मुर्गा मंडी में कूड़े के ढेर हैं.
हालात इतने बिगड़े हुए हैं कि उनको ठीक करने के लिए सबसे पहले गाजीपुर मुर्गा मंडी में मुर्गे के काटने पर प्रतिबंध अनिवार्य है. कोर्ट ने डीपीसीसी की इसी रिपोर्ट को आधार बनाते हुए यह फैसला लिया है. बहरहाल, 29 अक्टूबर को दोबारा इस मामले पर सुनवाई होगी.