दिल्ली हाईकोर्ट ने डीजल और पेट्रोल के बढ़े हुए दामों को लेकर तेल कंपनियों के फार्मूले को समझने के लिए लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया है. याचिकाकर्ता को इस मामले पर कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि ये सीधे तौर पर सरकार की पॉलिसी मेकिंग से जुड़ा हुआ मामला है, लिहाजा इसमें कोर्ट के दखल की कोई आवश्यकता ही नहीं है.
दरअसल, इस जनहित याचिका में तेल कंपनियों से को वो डाटा और रिकॉर्ड मंगाने की मांग की गई थी जिससे यह साफ हो सके कि तेल कंपनियां किस आधार पर डीजल और पेट्रोल के दामों को बढ़ाती हैं. याचिकाकर्ता की मंशा के जानने की थी कि डीजल और पेट्रोल के दामों में लगातार हो रही यह बढ़ोतरी कहीं तेल कंपनियों की मनमानी का नतीजा तो नहीं.
इस याचिका में तेल कंपनियों के उस फार्मूले को जानने के लिए कोर्ट से गुहार लगाई गई थी, जिसमें यह तय हो कि क्या वाकई हर रोज डीजल पेट्रोल के बढ़ते हुए दामों के पीछे अंतर्राष्ट्रीय बाजार ही मुख्य वजह है. या फिर तेल कंपनियां ऐसा मुनाफाखोरी के तहत कर रही हैं. तेल कंपनियों पर इससे पहले भी लगातार इस तरह के आरोप लगते रहे हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पूजा महाजन की इस याचिका को यह कह कर खारिज कर दिया कि इस पूरे मामले में कोर्ट के दखल की कोई आवश्यकता नहीं है. यह तेल कंपनियों और सरकार के बीच की पॉलिसी है.
पिछले हफ्ते भी डीजल पेट्रोल के बढ़े हुए दामों पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी लेकिन कोर्ट ने उस याचिका पर भी सरकार या तेल कंपनियों को कोई निर्देश देने से साफ इनकार कर दिया था. कोर्ट ने आज इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ना तो हमें पिछली याचिका पर सुनवाई की जरूरत महसूस हुई और ना आज इस याचिका पर हम सुनवाई करना जरूरी समझते हैं.
पिछले कुछ समय से डीजल और पेट्रोल के दाम आसमान छूने लगे हैं. दिल्ली में ही पेट्रोल के दाम ₹80 को पार कर चुके हैं और दिनों-दिन डीजल पेट्रोल के दामों में इजाफा हो रहा है. सरकार को घेरने के लिए विपक्ष के पास फिलहाल यह सबसे बड़ा बड़ा मुद्दा है.