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सीजेआई केस की मीडिया रिपोर्टिंग रोकने की याचिका खारिज

दिल्ली हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों से जुड़े मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर बैन लगाने के लिए लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया है.

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दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका खारिज की
दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका खारिज की

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दिल्ली हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों से जुड़े मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर बैन लगाने के लिए लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि क्योंकि यह मामला पहले यह सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है, लिहाजा हाई कोर्ट को इस मामले में दखल देने की जरूरत है ही नहीं. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट को हस्तक्षेप करने की गुंजाइश ही नहीं है.

एंटी करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया नाम की संस्था द्वारा दाखिल की गई याचिका में मांग की गई थी कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पर लगाए गए आरोप उस महिला के हैं, जो सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी थी और कुछ गंभीर आरोपों के चलते हटाई गई थी. ऐसी महिला के झूठे आरोपों के आधार पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को बदनाम करने की साजिश के तहत ऐसा किया जा रहा है. अगर मीडिया में इसके से जुड़े मामले की रिपोर्टिंग होती रहेगी तो यह भारतीय न्यायपालिका के लिए बेहतर स्थिति नहीं होगी.

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याचिका में कहा गया था कि इस मामले से जुड़े केस की रिपोर्टिंग मीडिया में तब तक ना हो जब तक की सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित की गई कमेटी अपनी जांच पूरी ना कर ले. और अगर आरोपों में सच्चाई पाई जाती है तभी इस मामले की रिपोर्टिंग की इजाजत मीडिया को दी जाए. याचिका में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट बिना गहराई में जाए बिना जिन चीजों को रिपोर्ट कर रही है, जिसका फायदा कथित 'पीड़िता' को मिल सकता है. जबकि अब यह साफ नहीं है कि महिला द्वारा लगाए गए आरोप सच्चे हैं या फिर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को बदनाम करने की साजिश.

याचिका में इस बात का भी अंदेशा जाहिर किया गया है कि सीजेआई पर लगाए गए आरोपों में देशद्रोही ताकतों का हाथ हो सकता है. और इसका फायदा वह लोग लेने की कोशिश कर सकते हैं जिनके मामले सुप्रीम कोर्ट में है और जिन की सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया कर रहे हैं. ऐसा जस्टिस गोगोई पर दबाव बनाने के लिए भी किया जा सकता है, क्योंकि वह कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई कर रहे हैं. याचिका में खासतौर से कहा गया है कि जिस तरह के आरोप लगाए गए हैं उससे स्वतंत्र न्यायपालिका की कार्यप्रणाली को भी खतरा हो सकता है.

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