आप आदमी पार्टी के विधायकों के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से जुड़े मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग के समझ सवाल खड़े किए हैं. कोर्ट ने पूछा कि अगर भविष्य में किसी और सरकारी कर्मचारी या अफसर को तलब करने की जरूरत पड़े और 'आप' विधायक इस तरह की अर्जी दोबारा लगाएं तो क्या उन्हें भी चुनाव आयोग खारिज करेगा?
दरअसल, चुनाव आयोग ने पिछले महीने आम आदमी पार्टी के विधायकों के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट केस में याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल को क्रॉस एग्जामिनेशन किए जाने की आप विधायकों की अर्जी को खारिज कर दिया था. चुनाव आयोग के इसी फैसले को आम आदमी पार्टी के विधायकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
आम आदमी पार्टी के विधायकों के वकील ने आज एक बार फिर सुनवाई के दौरान कोर्ट से कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल को क्रॉस एग्जामिनेशन की सख्त जरूरत है. जबकि चुनाव आयोग ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह पूरा ही मामला दस्तावेजों से जुड़ा हुआ है. हम वही कर रहे हैं, जो कानून कहता है और करने की इजाजत देता है. चुनाव आयोग का तर्क है कि इस केस से जुड़े दस्तावेजों के आधार पर यह साबित होता है कि आम आदमी पार्टी के विधायकों ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का लाभ लिया.
इससे पहले 2 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए विधायकों के वकील को कहा था कि आपने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का लाभ लिया है या नहीं, यह तय करना चुनाव आयोग का काम है. आप सही भी हो सकते हैं और आप गलत भी हो सकते हैं. लिहाजा इसको तय करने का काम चुनाव आयोग पर छोड़ देना ज्यादा बेहतर होगा.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के क्रॉस एग्जामिनेशन को लेकर हाईकोर्ट विधायकों की दलील से पूरी तरह सहमत भी नहीं दिखा था. लेकिन गुरुवार को हुई सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को कुछ अहम सवालों के जवाब अगली सुनवाई पर साफ करने को कहा है. इस मामले में दिल्ली हाइकोर्ट अगली सुनवाई 16 अगस्त को करेगा.