करोना महामारी के दौरान पिछले साल दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने एक आदेश जारी करके दिल्ली के निजी स्कूलों को अभिभावकों से वार्षिक और विकास शुल्क वसूलने पर रोक लगा दिया था. लेकिन अब दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी निजी स्कूल पिछले साल 2020-21 के शैक्षणिक सत्र का वार्षिक और विकास शुल्क छात्रों के अभिभावकों से वसूल सकते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश निजी स्कूलों की तरफ से एक्शन कमेटी की लगाई गई याचिका पर आया है. इसमें शिक्षा निदेशालय के नोटिफिकेशन को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली सरकार का शिक्षा निदेशालय स्कूलों को फीस तय करने या फीस लेने के मामले में दखल देने का अधिकार नहीं रखता है. शिक्षा निदेशालय ने दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट की धारा 17 की गलत व्याख्या करते हुए यह आदेश जारी किया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि शिक्षा निदेशालय तब तक निजी स्कूलों के फीस स्ट्रक्चर या फीस लेने के मामले में दखल नहीं दे सकता जब तक कि यह मुनाफाखोरी के लिए ना किया जा रहा हो. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में शिक्षा निदेशालय के पिछले साल के दो आदेशों को रद्द किया है जिसमें से एक आदेश 18 अप्रैल और दूसरा 28 अगस्त 2020 को जारी किया गया था.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि भले ही नियमित स्कूल नहीं खुल पा रहे हो लेकिन इसका वार्षिक और विकास शुल्क से कोई लेना देना नहीं है. शिक्षा निदेशालय की तरफ से नियमित स्कूल नहीं खुलने के कारण कोरोना महामारी के दौरान वार्षिक विकास शुल्क लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. कोर्ट ने कहा है कि शिक्षा निदेशालय के आदेश से स्कूलों के कामकाज पर असर पड़ सकता है लिहाजा वार्षिक और विकास शुल्क स्कूलों को वसूलने की कोर्ट इजाजत दे रहा है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अभिभावक पिछले साल का यह भुगतान 10 जून से छह मासिक किस्तों में कर सकते हैं.
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अभिभावकों को यह रकम चुकाने के दौरान 15 फ़ीसदी की छूट स्कूलों के द्वारा दी जाए. साथी कोर्ट के इस आदेश में यह भी साफ किया गया है कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र में स्कूल पूरी फीस लेने के लिए स्वतंत्र हैं. निजी स्कूलों के संग एक्शन कमेटी की तरफ से पेश वकील कमल गुप्ता ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा कि हाईकोर्ट के फैसले से राहत की सांस ली है क्योंकि शिक्षा निदेशालय ने नियमों की अनदेखी करते हुए जो दो आदेश जारी किये थे उससे निजी स्कूलों का हित बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है.