दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने गुरुवार को केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) द्वारा किए गए किराए संबंधी वादे (Rent Promise) पर नीति तैयार करने के लिए कहा है. केजरीवाल ने पिछले साल मार्च महीने में गरीब मजदूरों से किराया नहीं लेने की अपील की थी और कहा था कि यदि कोई नहीं भर पाता है तो उसका भुगतान सरकार करेगी.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि एक मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया आश्वासन एक लागू करने योग्य वादे के बराबर है, जिसको लागू करने के लिए राज्य सरकार द्वारा विचार किया जाना चाहिए. कोर्ट ने साथ ही दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह सीएम अरविंद केजरीवाल के बयान पर फैसला करे.
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने एक आदेश में कहा कि जरूरत है कि शासन करने वालों द्वारा नागरिकों से किए गए वादे वैध और उचित कारणों के बिना नहीं टूटें. हाई कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री ने लॉकडाउन के दौरान किराया नहीं लेने के लिए अपील की थी और वादा किया था कि लॉकडाउन के दौरान सरकार किराया भरेगी.
दिल्ली हाईकोर्ट का कहना है कि केजरीवाल द्वारा दिया गया आश्वासन कि सरकार किराए का भुगतान करेगी, चुनाव के दौरान का राजनीतिक वादा नहीं था. कोर्ट ने कहा, ''यह आश्वासन एक राजनीतिक वादा नहीं है, जैसा कि इस न्यायालय के सामने बताने की मांग की गई है. यह चुनावी रैली में नहीं कहा गया था. यह जीएनसीटीडी के सीएम द्वारा दिया गया एक बयान है.''
हाई कोर्ट में पांच डेली वेजेस वर्कर्स ने याचिका दायर की थी कि पिछले साल 29 मार्च को केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मकान मालिकों से निवेदन किया था कि जो गरीब हैं, उनसे किराया अभी नहीं लें. इसके साथ ही यह भी वादा किया था कि अगर कोई भी किराएदार किराया नहीं चुका पाता है तो फिर सरकार उसका किराया चुकाएगी.
दिल्ली सरकार को छह सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश देते हुए, कोर्ट ने उन लोगों के बड़े हित को ध्यान में रखने के लिए कहा, जिन्हें सीएम द्वारा दिए गए बयान में लाभ मिलने की उम्मीद थी. कोर्ट ने इसके लिए नीति तैयार करने के लिए कहा है.