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दिल्ली: स्पेशल टीचर्स की भर्ती को लेकर HC ने SDMC से मांगा जवाब

कोर्ट ने पूछा है कि सरकार और एसडीएमसी बताए कि उनके स्कूलों में कितने मानसिक विक्षिप्त बच्चे पढ़ते हैं और कितने स्पेशल टीचर्स अबतक नियुक्त किए गए हैं? साथ ही यह भी पूछा है कि सितंबर 2009 में दिए गए हाई कोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए हैं?

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दिल्ली हाई कोर्ट का अहम फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट का अहम फैसला

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मानसिक रूप से विक्षिप्त बच्चों के लिए स्कूलों में स्पेशल टीचर नहीं रखने के मामले में एसडीएमसी और दिल्ली सरकार की जमकर खिंचाई हुई है. सब्जी बेचकर अपने घर का खर्चा चलाने वाले एक परिवार ने ये याचिका लगाई है. याचिकाकर्ता के दो बच्चे मानसिक रूप से विक्षिप्त है, जिनमें से एक कटवारिया सराय के एसडीएमसी के प्राइमरी स्कूल में और दूसरा आरके पुरम के सरकारी स्कूल में पढ़ता है. इनके लिए स्पेशल टीचर विशेष की कोई व्यवस्था स्कूल में है ही नहीं, जबकि 16 सितंबर 2009 को हाई कोर्ट की डबल बेंच ने अपने आदेश में स्कूलों में स्पेशल टीचर रखने का आदेश दिया था.

हाई कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार और एसडीएमसी को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है. एमसीडी के स्कूलों में स्पेशल टीचर की करीब 1600 पोस्ट हैं, लेकिन अब तक करीब 170 स्पेशल टीचरों को ही रखा गया है. जबकि, दिल्ली सरकार के स्कूलों मे करीब 400 स्पेशल टीचर्स हैं, जबकि 933 पोस्ट स्पेशल टीचर्स के लिए हैं. कोर्ट ने पूछा है कि सरकार और एसडीएमसी बताए कि उनके स्कूलों में कितने मानसिक विक्षिप्त बच्चे पढ़ते हैं और कितने स्पेशल टीचर्स अबतक नियुक्त किए गए हैं? साथ ही यह भी पूछा है कि सितंबर 2009 में दिए गए हाई कोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए हैं?

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2009 में दिए अपने आदेश में हाई कोर्ट ने कहा था कि हर स्कूल में दो स्पेशल टीचर्स नियुक्त किए जाए. इस वक़्त दिल्ली सरकार और निगम के स्कूलों में लगभग तीस हजार विक्षिप्त छात्र पढ़ रहे हैं. दो मानसिक विक्षिप्त बच्चों के परिजनों की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही कोर्ट इस मामले में दिल्ली सरकार और निगम से इसलिए भी नाराज दिखी कि 7 साल बीतने के बाद भी कोर्ट के आदेश का किसी ने पालन नहीं किया. मुमकिन है कि अगली सुनवाई पर कोर्ट दोनों के खिलाफ अवमानना की करवाई भी करे. मामले में 25 अक्तूबर को सुनवाई होगी.

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