देश में 16 जनवरी से कोरोना टीकाकरण की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से की. इसके बाद देश भर की करीब 3300 साइटों पर टीकाकरण किया गया. लेकिन तय लोगों में से आधे ही लोग वैक्सीन लगवाने के लिए पहुंचे. दिल्ली में भी ये संख्या आधी ही रही. इसे लेकर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने कुछ सवालों के जवाब दिए हैं:
दिल्ली में वैक्सीन लगवाने वालों का आंकड़ा कम क्यों है?
''पूरे देश में ही करीब 50% वैक्सीनेशन हुआ है. दिल्ली में भी 50% है. सभी जगह पर आंकड़ा आधे के आस पास ही है. सब जगह एक ही वजह हो सकती है अलग-अलग नहीं. कुछ लोग आखिरी समय पर वैक्सीन लगवाने के लिए सामने नहीं आए. अंदाज़ा लगाने से फायदा नहीं है कि क्यों सामने नहीं आए. वैक्सीनेशन पूरी तरह से स्वैच्छिक है अनिवार्य नहीं है. लगवाने वाले को पूरी छूट है. रजिस्ट्रेशन कराने के बाद भी ऐसा नहीं कि लगवानी ही पड़ेगी.''
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वैक्सीनेशन के बाद क्या कोई प्रतिकूल घटना आई है?
''कल 51 मामूली केस सामने आए थे, जिनमें कुछ मामूली सी परेशानी हुई है और एक थोड़ा गंभीर मामला था, उस शख्स को एम्स में भर्ती कराया गया है. वे शनिवार रात तक एडमिट थे. कुल मिलाकर सिर्फ एक को ही अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. बाकी 51 को थोड़ी देर के निरीक्षण के बाद छुट्टी दे दी गई.''
''जिस हेल्थकेयर वर्कर को एडमिट कराया गया है, उनकी उम्र 22 साल है और वहां सिक्योरिटी में काम करते हैं. शनिवार रात तक हॉस्पिटल में ही थे, उन्हें ICU में भर्ती कराया गया था.''
क्या वैक्सीन पर पुनः विचार करना चाहिए?
''ये सब कुछ जैसा एक्सपर्ट्स ने बताया है उसी हिसाब से किया जा रहा है, केंद्र सरकार ने जो भी परमिशन दी है वो पूरी जांच के बाद ही दी है. इस पर घबराने वाली बात नहीं है.''
वैक्सीनेशन साइट पर राजनीति को लेकर क्या कहेंगे?
''पहले वैक्सीनेशन साइट ज्यादा बनाई गई थीं. बाद में धीरे-धीरे कम की गईं. पहले पूरे देश में 5000 साइटें थीं. बाद में 3300 कर दी गईं. दिल्ली में 81 जगहों को चिह्नित किया गया. MCD में पिछले हफ्ते हड़ताल चल रही थी तो कहीं कोई दिक्कत न हो इसलिए हटाया गया. राजनीति की बात नहीं है, टीका सबको लगाया जाएगा.''
''अभी 81 साइट्स हैं फिर 175 तक लेकर जाएंगे और फिर 1000 करेंगे. उसमें MCD को भी शामिल करेंगे. ड्राई रन तो हमारे यहां भी बहुत साइट पर हुआ, उनमें से भी बहुत को वैक्सीनेशन साइट नहीं बनाया गया. साइट की संख्या पहले बहुत ज़्यादा थी उसको बाद में कम करना पड़ा. इसको राजनीति से जोड़ने की आवश्यकता नहीं है. आगे सबको शामिल करेंगे. उम्मीद है तब तक हड़ताल नहीं चलेगी.