दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह हर राशन की दुकान पर एक शिकायत बॉक्स भी लगवाए. कोर्ट ने सरकार को निर्देश देते हुए कहा है कि दिए गए हेल्पलाइन नंबर काम कर रहे हों, यह भी सरकार सुनिश्चित करे.
नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट 2013 के सेक्शन 14, 15, 16 और 28 के तहत किसी भी ऐसे व्यक्ति को राशन के लिए मना नहीं किया जा सकता जो भूखा है, खासतौर से किसी भी तकनीकी आधार पर ऐसा किया जाना भी गलत है.
हर दिन अपडेट हो राशन वितरण की जानकारी
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कोर्ट के आदेशों की पालन कराने से जुड़ी रिपोर्ट भी दाखिल करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि सब डिविजनल मजिस्ट्रेट हर एक राशन की दुकान में राशन के वितरण को लेकर सभी जानकारियां हर दिन अपलोड करें.
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महामारी के वक्त भूखे न सोने पाएं लोग
कोर्ट ने आदेश किया कि शुक्रवार तक दिल्ली सरकार की तरफ से इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में इसका विज्ञापन भी दिया जाए कि हर जरूरतमंद को राशन की दुकान से राशन दिया जाएगा. जिससे कोविड-19 के इस समय में कोई भी भूखा ना रहे. कोर्ट ने साफ किया है कि राशन की दुकानों से किसी भी भूखे व्यक्ति को बिना राशन दिए वापस नहीं भेजा जा सकता. इसके अलावा सरकार उन अधिकारियों के नाम भी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें जिनसे आम लोगों को समस्या होने पर संपर्क किया जा सके.
गरीबों को कैसे मिलेगा बिना ई कूपन के राशन?
दिल्ली सरकार की तरफ से राशन देने के लिए ही कूपन की व्यवस्था लागू की गई थी लेकिन कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि जो व्यक्ति गरीब है उसके पास अगर फोन नहीं है तो वह राशन कैसे प्राप्त कर सकता है. ई-कूपन के लिए स्मार्ट मोबाइल फोन का होना जरूरी है, इंटरनेट फोन की जरूरत है, जिससे एक ओटीपी जनरेट हो सके. इसके अलावा उसके परिवार की तस्वीरों को भी अपलोड करने की जरूरत है.
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आधार की कॉपी लगाना बेहद जरूरी है क्योंकि इन तमाम औपचारिकताओं के बाद ही ई-कूपन जारी होता है. ऐसे में जिन लोगों के पास राशन कार्ड नहीं है या स्मार्टफोन नहीं है उनको राशन की दुकानों से बिना राशन दिए ही वापस भेजा जा रहा है.
जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार ने लिया फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट ने यह आदेश एनजीओ रोजी-रोटी अधिकार अभियान की जनहित याचिका पर दिया है. याचिका में नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के को लागू कराने, और आम लोगों की समस्याओं के लिए कमेटी के गठन की मांग की गई थी.
याचिका में बताया गया था कि नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के प्रावधानों का पालन खुद राशन की दुकान चलाने वाले नहीं कर रहे हैं काम के घंटों के दौरान भी राशन की दुकानें बंद रहती हैं.
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याचिका में कहा गया था कि लोगों को राशन नहीं मिल पा रहा है और ना ही सरकार की तरफ से यह तय किया गया है कि लोगों की समस्याओं के लिए किसकी जिम्मेदारी तय की जाए. नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के प्रावधानों का पालन कराना संविधान के आर्टिकल 21 के तहत कोविड-19 जैसी महामारी के समय में अनिवार्य है.