दिल्ली हाईकोर्ट में आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 अयोग्य विधायकों की याचिका पर सुनवाई शुरू हो गई है. कोर्ट ने इन विधायकों को यह साबित करने के लिए कहा है कि उन्होंने लाभ का पद ग्रहण नहीं किया. अब AAP के 20 अयोग्य विधायकों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट हर रोज सुनवाई करेगा.
बुधवार को सुनवाई में हाईकोर्ट ने कहा कि जो 21 संसदीय सचिव बनाए गए थे, वो निर्धारित संख्या से ज्यादा हैं. नियम के मुताबिक विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या के 10 फीसदी को ही संसदीय सचिव बनाया जा सकता है, लेकिन AAP ने इससे ज्यादा संख्या में संसदीय सचिव बनाए. कोर्ट ने कहा कि अब आप सिर्फ यह साबित कर दीजिए कि संसदीय सचिव का पद लाभ का नहीं है.
बुधवार को सुनवाई में हाईकोर्ट में जिन सात मुद्दों पर बहस हुई, उन पर AAP के विधायकों ने अपना पक्ष रखा. इनका कहना है कि राष्ट्रपति का चुनाव आयोग की राय लेने के लिए भेजा गया लेटर नियम के मुताबिक नहीं है. साथ ही याचिकाकर्ता प्रशांत की ओर से EC को भेजे गए खत में हस्ताक्षर नहीं हैं. AAP के अयोग्य विधायकों ने कोर्ट में कहा कि हमें व्यक्तिगत तौर पर चुनाव आयोग ने अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया.
उन्होंने कहा कि हमसे चुनाव आयोग ने सिर्फ लिखित बयान लिए. हमें मौखिक रूप से बोलने की इजाजत नहीं दी. हमने कोई लाभ का पद (office of profit) सरकार से नहीं लिया. तीन घंटे से ऊपर चली सुनवाई के दौरान AAP के विधायकों के वकील ने कहा कि हमने कोई ऑफिस सेक्रेटरी के तौर पर नहीं लिया. हाइकोर्ट ने भी सेक्रेटरी की नियुक्ति को अपने आदेश में असंवैधानिक ठहराया था.
इसके अलावा चुनाव आयोग के जिन पदाधिकारी के सामने सुनवाई हुई, उन्होंने ख़ुद को केस से अलग कर लिया था. AAP के अयोग्य विधायकों के वकील ने हाइकोर्ट मे दलील दी कि राष्ट्रपति और चुनाव आयोग के बीच जो लेटर्स भेजे गए, उनमें नियमों का पालन नही किया गया.