दिल्ली हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़की से रेप के 15 साल पुराने मामले में आरोपी को बरी कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि आपसी सहमति से ही दोनों में शारीरिक संबंध बने थे.
इस मामले में निचली अदालत ने आरोपी को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी. न्यायमूर्ति इंदरमीत कौर की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिहार के रहने वाले रामेश्वर गिरि नाम के इस व्यक्ति को 2001 में लड़की का अपहरण करने और उससे बलात्कार के आरोप में सजा सुनाने का निचली अदालत का फैसला खारिज कर दिया.
कोर्ट ने कहा कि आरोपी के साथ जाने के प्रति लड़की सचेत थी और इसे जबरदस्ती किया गया काम नहीं कहा जा सकता. कोर्ट ने आरोपी की अपील पर यह फैसला सुनाया. उसका कहना था कि पुरानी रंजिश के कारण उसे झूठा फंसाया गया है.
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आईपीसी की धारा 375 में परिभाषित बलात्कार का मामला नहीं बन सका है क्योंकि पीड़ित 16 साल से कम उम्र की होनी चाहिए थी. इस मामले में पीडि़त की उम्र अपराध के दिन 16 साल से सिर्फ तीन महीने कम यानी 15 साल 9 महीने थी. अदालत ने आरोपी को लड़की के अपहरण के आरोप से भी बरी कर दिया.
अदालत ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी पीड़ित को कानूनी दृष्टि से उसके अभिभावक से दूर रखने का दोषी है. अभियोजन के अनुसार, यह लड़की बिहार निवासी रामेश्वर गिरि को वारदात से पहले से जानती थी क्योंकि वह उसके घर आता रहता था. घटना वाले दिन 2 फरवरी, 1999 को जब यह लड़की अपने घर के पास सार्वजनिक पानी के टैंक के पास खड़ी थी तो गिरि ने उसे घूमने चलने के लिए बुलाया और वह इसके लिये तैयार हो गई थी. लेकन गिरि उसे जबरन ट्रेन से बिहार ले गया जहां उसने उसके साथ दो बार शारीरिक संबंध बनाए. लड़की जब घर नहीं लौटी तो उसके माता-पिता ने उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने बाद में उसे बरामद किया था.