दिल्ली हाईकोर्ट में वायु प्रदूषण के मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अब तक आपने क्या किया है. कोर्ट के नियुक्त किए गए वकील ने कहा कि 2015 से अब तक राज्य और केंद्र सरकारों ने प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कुछ भी नहीं किया है. सिवाय मीटिंग्स को करने के, मॉनिटरिंग की गई है, लेकिन एक्शन कुछ भी नहीं हुआ है, बच्चों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है.
कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण कंस्ट्रक्शन है, और उससे उड़ने वाली धूल, उसके लिए अब तक क्या किया गया है, कोर्ट ने कहा कि एयर क्वालिटी को कैसे ठीक किया जा सकता है, वो बताएं, लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, अभी हालात कैसे ठीक किए जा सकते हैं, वो इसका हल बताएं.
हाईकोर्ट ने कहा कि फिलहाल क्रॉप बर्निंग को तुरंत रोकने की जरूरत है. क्योंकि फिलहाल रुकी हुई हवा से बदतर हुए हालात में क्रॉप बर्निंग हालात को बद से बदतर कर रही है. इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली और आसपास के राज्यों को हलफनामा देने को कहा कि वो क्रॉप बर्निंग को लेकर क्या-क्या कर रहे हैं.
यह थे वह कारण जिसकी वजह से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा
इससे पहले 22 सितंबर को दिल्ली और आसपास के राज्यों में प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि यूपी, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब में क्रॉप बर्निंग को रोकने के लिए किसानों से फसल का वो हिस्सा जो वो खेत में जला देते हैं, पेपर इंडस्ट्री और बोर्ड इंडस्ट्री किसानों से खरीदे. इससे एक तरफ किसानों को आर्थिक मदद मिलेगी और दूसरी तरफ फसलों के अवशेष को जलाने से होने वाले प्रदूषण पर भी लगाम लगेगी. लेकिन इस पर राज्य सरकार अभी तक कुछ नहीं कर पाई है.
हाइकोर्ट ने यूपी, हरियाणा, राजस्थान व पंजाब आदि राज्यों को आदेश दिया था कि वो अपने इलाके मे आने वाली सभी पेपर कंपनी, बायोमास प्लांट, पॉवर जेनरेशन प्लांट, सीमेंट प्लांट चलाने वालों को किसानों से फसलों के अवशेष खरीदने के निर्देश जारी करें. दिल्ली-एनसीआर में फसलों के अवशेष के जलाने से होने वाले प्रदूषण के मद्देनजर हाईकोर्ट ने ये आदेश दिया था, लेकिन मामले की गंभीरता को ना राज्य सरकार और ना केंद्र सरकार समझ पाई.
कोर्ट ने कहा कि कंपिनयों की यह सामाजिक जिम्मेदारी बनती है. कोर्ट ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को फसलों के अवशेष जलाने से रोकने के लिए प्रत्येक राज्य में बनी विशेष कमेटी से हर सप्ताह रिपोर्ट लेने का निर्देश दिया था. राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को सैटेलाइट के माध्यम से पराली जलाने पर नजर रखने को कहा गया था, लेकिन उसका भी पालन नहीं हो पाया.
कोर्ट ने कहा कि हर हफ्ते राज्य सरकारें फसलों के अवशेष जलाने से रोकने के लिए की गई अपनी कार्रवाई रिपोर्ट कोर्ट में जमा करने को कहा गया था. 1 अक्टूबर से यह काम शुरू हो जाना चाहिए था. कोर्ट ने खास तौर से पंजाब और हरियाणा में इस विषय पर ज्यादा काम करने की जरूरत पर भी जोर दिया था. फसलों के अवशेष जलाने वाले लोगों पर मुकदमा दर्ज करने व जुर्माना लगाने जैसे नियमों का सख्ती से पालन नहीं हुआ.