दिल्ली हाई कोर्ट में साल 2011 में आज ही के दिन यानी कि 7 दिसंबर को बम धमाका हुआ था. जिन्होंने इस धमाके में अपनों को खोया, उनके जेहन में नौ साल बाद भी उस धमाके की यादें जस की तस बनी हुई हैं. हाई कोर्ट के गेट नंबर 4 और 5 के बीच में हुए इस बम विस्फोट में 15 लोगों की जान चली गई थी जबकि 79 लोग जख्मी हुए थे.
अपनों को खोने वाले परिवार सोमवार को मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में इकट्ठा हुए और नम आखों से अपने उन लोगों को याद किया जो अब सिर्फ उनकी यादों में जिंदा हैं. दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से इस बम विस्फोट में मारे गए 15 लोगों के नाम की एक तख्ती भी लगाई गई है. लोगों ने इस तख्ती के सामने अपने परिवार के खोए हुए सदस्यों को फूल चढ़ाकर और मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि दी.
संगीता शर्मा के पति अशोक कुमार शर्मा भी इस बम धमाके में अपनी जान गंवा चुके हैं. वो स्विमिंग कोच थे. दिल्ली हाई कोर्ट में वह किसी व्यक्ति से मिलने आए थे, तभी बम विस्फोट हुआ और उनकी जान चली गई. उनके जाने के बाद संगीता शर्मा के ऊपर घर चलाने की पूरी जिम्मेदारी थी. संगीता बताती हैं कि पेंशन हासिल करने के लिए भी उन्होंने हाई कोर्ट में साढे 6 साल केस लड़ा.
परिवार के आर्थिक हालात आज भी वैसे ही हैं जैसे अशोक शर्मा के जाने के बाद थे उस वक्त बच्चे छोटे थे और अब लगभग पढ़ाई पूरी करने को हैं.
टेरर विक्टिम्स को आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए अपने एनजीओ के माध्यम से काम करने वाले अशोक रंधावा बताते हैं कि दिल्ली ब्लास्ट में जिन 15 लोगों ने अपनी जान गंवाई, उनमें से किसी के भी परिवार को आज तक सरकारी नौकरी नहीं मिली है. जो मुआवजे की रकम उस वक्त सरकार द्वारा घोषणा करके बताई गई थी वो लेने में भी पीड़ित परिवारों को कई सालों का वक्त लगा गया. 79 लोगों में से बहुत सारे ऐसे गंभीर रूप से घायल हुए थे जो पूरी जिंदगी के लिए विकलांग हो गए हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट में 9 साल पहले हुए इस बम धमाके के बाद हाइ कोर्ट की सुरक्षा को सरकार ने और ज्यादा बढ़ा दिया है. जिस चार और पांच नंबर गेट पर दिल्ली हाई कोर्ट में ब्लास्ट हुआ था वहां पर हर वक्त एक पीसीआर वैन मौजूद रहती है. साथ ही पैरामिलिट्री फोर्सेस को भी सुरक्षा में तैनात किया गया है. 7 सितंबर 2011 को जब ब्लास्ट हुआ था तो तकरीबन 200 लोगों की भीड़ कोर्ट में अंदर जाने के लिए अपना पास बनवाने के लिए लाइन में लगी हुई थी.
हाई कोर्ट में हुए ब्लास्ट के बाद कोर्ट प्रशासन और सरकार ने सबक लेते हुए कोर्ट की सुरक्षा को तो चाक-चौबंद कर दिया लेकिन विस्फोट में मारे गए लोगों के परिवारों की दुश्वारियां अभी भी वैसी ही बनी हुई हैं.