दिल्ली के चांदनी चौक सौंदर्यीकरण से जुड़े नोडल ऑफिसर की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रोजेक्ट से जुड़ी बीएसईएस और एमटीएनएल जैसी एजेंसियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वो तारों को हटाए जाने से जुड़े चीफ नोडल ऑफिसर के निर्देशों पर अमल करें वरना कोर्ट को मजबूरन उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करनी पड़ेगी.
दरअसल, चांदनी चौक सौंदर्यीकरण के प्रोजेक्ट से जुड़े नोडल ऑफिसर ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि बीएसईएस और एमटीएनएल जैसी एजेंसियों को कई बार इलाके में पड़े तारों को हटाने के लिए कहा जा चुका है लेकिन उसके बावजूद उस पर कोई अमल नहीं किया गया. याचिका में हाईकोर्ट से गुहार लगाई गई थी कि वह एमटीएनएल और बीएसईएस को आदेश दे कि वह एक तय समयसीमा में हैंगिंग केबल्स और वायर्स को वहां से हटा दे.
हैंगिंग केबल्स और वायर्स के कारण चांदनी चौक में कराए जाने वाले सौंदर्यीकरण के काम में बाधा पड़ रही है और इसी के चलते काम रुका हुआ है. कोर्ट के पुराने आदेशों पर ही चांदनी चौक रिडेवेलपमेंट प्रोजेक्ट चल रहा है. 7 दिसंबर 2018 को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी.
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नोडल ऑफिसर की तरफ से पेश वकील ने आज मंगलवार को इस मामले में कोर्ट को बताया कि चांदनी चौक रिडेवेलपमेंट प्लान की थीम 26 जनवरी की परेड का भी हिस्सा हो सकती है.
ऐसे में जब 28 दिसंबर को इस मामले में नोडल ऑफिसर इंस्पेक्शन के लिए पहुंचा तो एमटीएनएल की तरफ से कोई भी इंस्पेक्शन में शामिल नहीं हुआ. जबकि वहां पर केबल और वायर जगह-जगह लटके हुए हैं और उनको हटाए जाने की तुरंत जरूरत है. ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट ने एमटीएनएल और बीएसईएस को निर्देश दिया है कि वह तुरंत इनको हटाए वरना अवमानना की कार्रवाई के लिए तैयार रहें. कोर्ट अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 अप्रैल को करेगा.