एमसीडी कर्मचारियों की सैलरी नहीं मिलने से जुड़ी याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि आपके पास विज्ञापन पर खर्च करने के लिए पैसा है लेकिन एमसीडी के गरीब कर्मचारियों को देने के लिए नहीं.
हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि हम CAG को भी इस मामले में जांच करने के आदेश दे सकते हैं. साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए हैं कि 2 हफ्ते के भीतर वह एमसीडी को फंड मुहैया कराए जिससे कर्मचारियों की तनख्वाह दी जा सके.
बजट से पैसे क्यों काटेः कोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली की सभी एमसीडी को भी निर्देश दिए हैं कि वह अपने खर्चों का पूरा ब्यौरा सार्वजनिक करें. हाईकोर्ट में आज गुरुवाई की सुनवाई के दौरान साफ कहा गया कि दिल्ली सरकार से एमसीडी को मिलने वाला पैसा सिर्फ एमसीडी कर्मचारियों और रिटायर्ड कर्मचारियों को पेंशन देने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
शीला दीक्षित के कार्यकाल के दौरान एमसीडी की तरफ से दिल्ली सरकार से लोन लिए गए थे जिनको हर साल एमसीडी की तरफ से चुकाया जाता है, लेकिन पिछले 2 साल से उसको माफ किया जा रहा था. लेकिन कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली सरकार ने 216 करोड़ रुपये का लोन माफ करने के बजाए बजट से काट लिया.
हाईकोर्ट ने आज निर्देश दिया है कि महामारी के दौरान जब सब सरकारें लोन माफ कर रही हैं तो दिल्ली सरकार ने 216 करोड़ रुपये बजट से क्यों काटे, कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि इसे वापस किया जाए.
17 फरवरी को अगली सुनवाई
कोर्ट के द्वारा जब ऑर्डर लिखवाया जा रहा था तो दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि दिल्ली सरकार पर टिप्पणियां ना लिखवाई जाए. लेकिन कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा ही आगे भी चलता रहा तो आम जनता नेताओं का गला काट देगी. महामारी में काम करने वाले एमसीडी कर्मचारियों की पिछले कई महीने की तनख्वाह पेंडिंग है, किसी को जुलाई तो किसी को अगस्त के बाद से तनख्वाह नहीं दी गई है.
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हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई अब 17 फरवरी को करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई वर्चुअल माध्यम से होगी, लेकिन एमसीडी कर्मचारियों की परेशानी रियल है. दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि 2 हफ्ते के भीतर एमसीडी को फंड ट्रांसफर करें और अक्टूबर 2020 तक की एमसीडी कर्मचारियों की तनख्वाह उनको दी जाए.