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नोएडा-गुरुग्राम के वकीलों की दिल्ली में एंट्री नहीं, HC ने हरियाणा-यूपी को जारी किया नोटिस

बार काउंसिल की तरफ से डाली गई इस याचिका का केंद्र सरकार की तरफ से पेश एएसजी मनिंदर आचार्य ने समर्थन किया और कहा कि वकीलों के दिल्ली स्थित दफ्तरों को खोला जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दोनों राज्यों की राय बेहद जरूरी है इसीलिए अगली सुनवाई में दोनों पक्ष अपनी राय रखें.

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लॉकडाउन की वजह से दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर सील (फोटो-पीटीआई)
लॉकडाउन की वजह से दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर सील (फोटो-पीटीआई)

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  • दिल्ली में बंद पड़े हैं वकीलों के अपने दफ्तर
  • लॉकडाउन की वजह से नहीं आ रहे वकील
दिल्ली में लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण की वजह से व्यावसायिक गतिविधियां बंद हैं. राजधानी में पिछले 50 दिनों से वकीलों के दफ्तर भी बंद हैं. दिल्ली में प्रैक्टिस करने वाले नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के वकीलों को अपने इलाके से मूवमेंट की इजाजत नहीं है. इन वकीलों को हरियाणा और यूपी की सरकारें दिल्ली आने से रोक रही हैं. इसके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है.

मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी किया है और इस पर जवाब मांगा है. अब 18 मई को दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले पर दोबारा सुनवाई करेगा. मंगलवार को इस मामले में तकरीबन 45 मिनट हुई सुनवाई के दौरान हरियाणा की तरफ से पेश हुए वकील ने इस याचिका का विरोध किया तो वहीं दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वकील ने इसका समर्थन किया.

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उत्तर प्रदेश की तरफ से कोर्ट में मंगलवार को कोई भी पेश नहीं हुआ. हालांकि बार काउंसिल की तरफ से डाली गई इस याचिका का केंद्र सरकार की तरफ से पेश एएसजी मनिंदर आचार्य ने समर्थन किया और कहा कि वकीलों के दिल्ली स्थित दफ्तरों को खोला जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दोनों राज्यों की राय बेहद जरूरी है इसीलिए अगली सुनवाई में दोनों पक्ष अपनी राय रखें.

गृह मंत्रालय के गाइडलाइन का उल्लंघन

दिल्ली बार काउंसिल के चेयरमैन के सी मित्तल ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बतायाा कि 1 मई को गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस के के मुताबिक प्राइवेट ऑफिस को खोलने की मंजूरी सरकार द्वारा दी गई है ऐसे में दिल्ली और दिल्ली से बाहर रह रहे उन वकीलों को अपना दफ्तर खोलने से नहीं रोका जा सकता है.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से जारी की गई गाइडलाइंस का पालन करना उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार के लिए भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि वकीलों को गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद जैसी जगहों से दिल्ली आने से रोका जा रहा है जो सीधे तौर पर संविधान की धारा 19 (1)(d) का उल्लंघन है.

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दफ्तर में बंद हैं मुकदमों के कागजात

वकीलों की परेशानियों को बताते हुए उन्होंने अदालत से कहा कि कई अहम दस्तावेज दफ्तर में बंद हैं. केस फाइल भी वहीं पर हैं. इस वजह से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी मामलों की सुनवाई मुमकिन नहीं हो पा रही है.

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बार काउंसिल ने मांग की है कि दिल्ली हाईकोर्ट राज्य सरकारों को दिशा निर्देश दे जिससे यूपी और हरियाणा बॉर्डर पर वकीलों को दिल्ली आने से ना रोका जाए.

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