दिल्ली हाईकोर्ट ने एमसीडी टीचर्स को कई महीने से सैलेरी नहीं दिए जाने के मामले में दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार के साथ नहीं बनती है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप एमसीडी टीचर्स की सैलरी ही नहीं देंगे.
हाईकोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा कि या तो दिल्ली सरकार सरकारी स्कूलों के अपने टीचर्स को भी तनख्वाह देना बंद करें या फिर एमसीडी के टीचर्स को भी सेलरी दे. एमसीडी के करीब 13 हजार टीचर्स को पिछले 3 महीने से दिल्ली सरकार से तनख्वाह नहीं मिली है.
सरकार के रवैए से नाराज दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आप टीचर्स को सैलेरी भी नहीं दोगे तो फिर उनके पास अपना घर खर्च चलाने का विकल्प ही क्या बचता है. उनके पास बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन पढ़ाने के अलावा अपना परिवार चलाने के लिए कोई विकल्प ही नहीं है.
एमसीडी के कई शिक्षकों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को पत्र लिखकर जानकारी दी है कि तनख्वाह नहीं मिलने के कारण उन्हें कई तरह की परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है. कुछ टीचर्स अपने बच्चों की स्कूल फीस नहीं दे पा रहे हैं, तो कोई बच्चों की शादी नहीं कर पा रहा है. कुछ को गंभीर बीमारियां हैं और वह कीमोथैरेपी ले रहे हैं. इस पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या उस टीचर को अपनी कीमोथैरेपी बंद करा देनी चाहिए क्योंकि आप उसे सैलरी नहीं दे रहे.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सोमवार यानी 16 अप्रैल को हम फिर सुनवाई करेंगे और दिल्ली सरकार उससे पहले इस समस्या को हल करें. कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप दिल्ली के एजुकेशन प्रोग्राम को लेकर गंभीर नजर नहीं आते क्योंकि अगर शिक्षक को उसका वेतन भी नहीं मिलेगा तो बच्चों को वह क्या शिक्षा देगा. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि केंद्र सरकार के साथ अगर आपकी नहीं बनती है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप एमसीडी टीचर्स की सैलरी ही नहीं देंगे.