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हेराल्ड हाउस केसः हाईकोर्ट का यथास्थिति बनाए रखने का आदेश

हेराल्ड हाउस की लीज रद्द करने को लेकर मामला दिल्ली हाईकोर्ट में है, जहां सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से कहा गया कि इस पब्लिक प्रॉपर्टी को जिस मकसद से दिया गया, उसे कई बरसों से इस्तेमाल ही नहीं किया गया.

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हाईकोर्ट में चल रहा हेराल्ड हाउस (फाइल-PTI)
हाईकोर्ट में चल रहा हेराल्ड हाउस (फाइल-PTI)

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हेराल्ड हाउस की लीज रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है, सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि स्टाफ से वीआरएस लेकर अखबार ले लिया गया था और जब सरकार ने कार्रवाई शुरू की तो उन्होंने न्यूज पेपर शुरू कर दिया.

हाईकोर्ट ने हेराल्ड हाउस को खाली कराने से जुड़ी याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है. कोर्ट ने आदेश आने तक LNDO को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है, जिससे LNDO एजेएल को इमारत खाली कराने को नहीं कहेगा.

लीज रद्द करने से पहले नोटिस

इससे पहले हाईकोर्ट की ओर से 22 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई से पहले अब हेराल्ड हाउस को सील करने पर रोक लगा दी गई थी. गुरुवार को इस मामले में फिर से शुरू हुई सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने कहा कि इंडियन एक्सप्रेस बिल्डिंग से जुड़े इस मामले को गलत तरीके से कोड़ किया गया है. पब्लिक प्रॉपर्टी को जिस वजह से दिया गया, वो हेराल्ड हाउस में कई बरसों से किया ही नहीं गया.

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उन्होंने आगे कहा कि यह कहना पूरी तरफ गलत है कि नेहरू की विरासत को खत्म करने की कोशिश है. लीज रद्द करने से पहले कई बार नोटिस दिया गया.

इस पर कोर्ट ने पूछा कि जब हेराल्ड हाउस से अब भी न्यूज पेपर चल रहे हैं तो क्या बिल्डिंग अब वापस ली जा सकती है? जवाब में तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने न्यूज पेपर तब शुरू किया जब हमने कार्रवाई करने का और लीज रद्द करने का फैसला कर लिया. उन्होंने 2008 से 2016 तक किसी भी तरफ का कोई पब्लिशिंग का काम नहीं किया गया. 2008 में स्टाफ से वीआरएस लेकर अखबार ले लिया गया.

नोटिस जारी होने के बाद काम शुरू

उन्होंने कहा कि 2016 में जब पहली बार नोटिस जारी किया गया तब जवाब दिया गया कि हम पब्लिशिंग का काम दोबारा शुरू कर रहे हैं. नोटिस का जवाब इंस्पेक्शन के बाद तब दिया गया जब पाया गया कि न्यूज पेपर निकालने का कोई काम हेराल्ड हाउस से हो ही नहीं रहा है बल्कि इमारत को किराए पर उठाकर 15 करोड़ रुपए अर्जित किए जा रहे हैं.

मेहता ने कहा कि एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) से शेयर लेकर यंग इंडिया को दे दिया गया. ये हेराल्ड हाउस को यंग इंडिया को देने की तैयारी थी. प्रॉपर्टी को ट्रांसफर करने के लिए यह सब किया गया था जबकि ये लीज की शर्तों के खिलाफ था. यह सरकार की जमीन है और इसको नहीं बेचा नहीं जा सकता.

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पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में एसोसिएटड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) का बचाव करते हुए कहा था कि हेराल्ड हाउस की लीज एलएनडीओ ने सिर्फ इसलिए रद्द कर दी कि वहां से न्यूज पेपर को प्रिंट नहीं किया जा रहा है. हम कोई टॉय शॉप नहीं चला रहे हैं, न्यूज पेपर अगर किसी और जगह से प्रिंट हो रहा है तो किसी को क्या आपत्ति हो सकती है.

नेशनल हेराल्ड में सोनिया-राहुल की हिस्सेदारी

नेशनल हेराल्ड में यंग इंडिया, राहुल गांधी और सोनिया गांधी की हिस्सेदारी है. एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी है. कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था.

इसका अर्थ ये हुआ कि पार्टी ने इसे 90 करोड़ का लोन दे दिया. इसके बाद 5 लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है. बाकी की 24 फीसदी हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास है.

इसके बाद टीएजेएल के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर 'यंग इंडियन ' को दे दिए गए और इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था. 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को इस कंपनी के 99 फीसदी शेयर हासिल हो गए. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया. यानी 'यंग इंडियन' को मुफ्त में टीएजेएल का स्वामित्व मिल गया.

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