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MCD वार्डों को लेकर अधिसूचना पर हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जबाब

चुनाव आयोग के निगम वार्डों को लेकर जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग से जुड़ी याचिका पर हाई कोर्ट ने आयोग से 3 दिन में जबाब मांगा है. कोर्ट ने कहा है कि आयोग अपना पक्ष साफ करते हुए बताए कि आखिर कुछ एससी सीटों को जनरल और कुछ एससी सीटों को पूरी तरह एससी निगम वार्डों में किस नियम के तहत तब्दील किया गया है. हाई कोर्ट इस मामले में 16 मार्च को दोबारा सुनवाई करेगा.

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हाई कोर्ट 16 मार्च को इस मामले की दोबारा सुनवाई करेगा.
हाई कोर्ट 16 मार्च को इस मामले की दोबारा सुनवाई करेगा.

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चुनाव आयोग के निगम वार्डों को लेकर जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग से जुड़ी याचिका पर हाई कोर्ट ने आयोग से 3 दिन में जबाब मांगा है. कोर्ट ने कहा है कि आयोग अपना पक्ष साफ करते हुए बताए कि आखिर कुछ एससी सीटों को जनरल और कुछ एससी सीटों को पूरी तरह एससी निगम वार्डों में किस नियम के तहत तब्दील किया गया है. हाई कोर्ट इस मामले में 16 मार्च को दोबारा सुनवाई करेगा.

चुनाव आयोग की अधिसूचना में दिल्ली के कुछ निगम वार्डों को महिलाओं और कुछ आरक्षित वर्ग के लिए रखीं गई हैं. इस अधिसूचना के खिलाफ हाई कोर्ट में कुछ याचिकाए लगाई गई है. इन पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि इस बार अधिसूचना वार्डों के आधार पर जारी की गई है, जबकि 2012 में ये अधिसूचना विधानसभा सीटों के आधार पर की गई थी.

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इस पर कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह अपने जबाब में बताए कि आखिर जिस आधार पर 2012 में अधिसूचना जारी की गई थी, इस बार 2017 में भी उसी आधार पर क्यों नहीं की गई. मसलन सुल्तानपुर माजरा के 4, मंगोलपुरी के तीन, गोकुलपुरी के चारों वार्डों को रिजर्व (एससी) कर दिया गया है, लेकिन बवाना विधानसभा एससी के लिए रिजर्व होने के बाबजूद सभी निगम वार्डों को अनारक्षित श्रेणी में रखा गया है. याचिकाओं में इन्हीं चीजों को आधार बनाकर कोर्ट से अधिसूचना को रद्द करने की गुहार लगाई गई है.

इसमें कहा गया है कि 6 फरवरी को जारी अधिसूचना के मुताबिक, अप्रैल में पूर्वी, दक्षिण व उत्तरी तीनों नगर निगम के 272 सीटों पर चुनाव होना है, जिसमें कुछ सीटों को महिलाओं एवं दूसरे वर्गों के आरक्षित रखा गया है. याचिका में दावा किया गया है कि दिल्ली नगर निगम एक्ट की धारा 3 के हिसाब से ऐसा करना गलत है. लिहाजा इसे रद्द किया जाए.

इन याचिकाओं में 13 जनवरी को निगम वार्डों के परिसीमन के लिए जारी निर्देश को भी रद्द करने का आग्रह किया गया है. याचिकाकर्ता के मुताबिक, परिसीमन से दिल्ली के वार्डों की सीमाक्षेत्र में बदलाव तो आया, लेकिन दक्षिणी दिल्ली में वार्ड संख्या 104, उत्तरी दिल्ली में वार्ड संख्या 64 समेत अब भी तीनों निगमों में कुछ वार्ड पहले की तरह ही हैं.

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इससे पहले हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस जी. रोहिणी ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था, जिस पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई है. हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस ने निजी कारणों से सुनवाई से अलग होते हुए दूसरी बेंच के सामने मामले पर सुनवाई लिए 9 मार्च की तारीख तय की थी. इस मुद्दे पर पहले ही एक अन्य याचिका कोर्ट में विचाराधीन है, जिस पर हाइकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार, राज्य चुनाव आयोग समेत तीनों नगर निगमों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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