बलात्कार पीड़ित नाबालिग के 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस मामले में एम्स में एक नया मेडिकल बोर्ड बनाया जाए. डॉक्टरों के पैनल में तीन गायनोकॉलोजिस्ट और एक मनोचिकित्सक शामिल होंगे.
कोर्ट ने आज दूसरा मेडिकल बोर्ड बनाने के आदेश इसलिए भी दिए क्योंकि DDU ने जो रिपोर्ट दी है उसमें कहा है कि अगर अबॉर्शन किया जाता है तो नाबालिग लड़की की जान को खतरा है और अगर अबॉर्शन नहीं कराया जाता है तो भी इस उम्र में बच्चा पैदा करना उसके लिए जानलेवा साबित हो सकता है. यानी कोर्ट मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर किसी नतीजे पर नहीं पहुच पाया है.
डॉक्टर बताएंगे अबॉर्शन से खतरा तो नहीं
अदालत ने एम्स के डॉक्टरों का पैनल तैयार करने का आदेश दिया है जो तय करेगा कि अबॉर्शन से नाबालिग की जान को खतरा तो नहीं है. और ऐसा न होने की स्थिति में अबॉर्शन करने की इजाजत दे दी जाएगी. कोर्ट ने कहा है कि डॉक्टरों का पैनल चेक करे की नाबालिग लड़की की कितने हफ्ते की प्रग्नेंसी है, मनोचिकित्सक देखें कि अबॉर्शन से उसकी मानसिक हालत तो नहीं बिगड़ेगी.
अपहरण कर किया गया था नाबालिग का रेप
कोर्ट ने निर्देश दिए है कि फीटस का डीएनए किया जाए जिससे ये पता लगाना आसान हो कि बलात्कार किसने किया. इस बीच इस मामले के जांच अफसर ने बताया की दो लोगों को इस मामले मे गिरफ्तार कर लिया गया है. पीड़ित लड़की ने सोमवार को कोर्ट मे खुद ये बयान दिया है कि उसे किडनैप किया गया और उसके साथ बलात्कार किया गया और वो अपनी प्रग्नेंसी खत्म करना चाहती है. इस तरह की प्रग्नेंसी उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. दरअसल देश का कानून 20 हफ्ते से ऊपर गर्भ गिराने की इजाजत नहीं देता. ये गैर कानूनी है. क्योंकि 20 हफ्ते के बाद गर्भ गिरना मां के लिए जानलेवा साबित हो सकता है.