दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यूनतम मजदूरी पर सोमवार को एक और अहम आदेश जारी किया. शनिवार को कोर्ट ने एलजी और दिल्ली सरकार के न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के फैसले को रद्द कर दिया था, लेकिन आज कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा है कि कोई भी फैक्ट्री मालिक या इंडस्ट्री बढ़ाए हुए पैसे को मजदूरों से वापस नहीं मांग सकते. इसका मतलब ये है कि दिल्ली सरकार के न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के फैसले के बाद जिन मजदूरों की तनख्वाह बढ़ा दी गई थी उनसे अब तक की बढ़ी हुई तनख्वाह को कोई भी मालिक वसूल नहीं कर सकता.
शनिवार को दिल्ली हाईकोर्ट से आए फैसले के बाद जो कर्मचारी परेशान थे, उनके लिए हाईकोर्ट से आया यह आदेश राहत की खबर है. बता दें कि शनिवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि एलजी और दिल्ली सरकार के न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाने के फैसले को रद्द किया जा रहा है क्योंकि इस फैसले में फैक्ट्री मालिक या इंडस्ट्रीज को चलाने वाले लोगों की राय नहीं ली गई और सरकार ने एक तरफा फैसला लेकर न्यूनतम मजदूरी को बढ़ा दिया.
ऐसे में आशंका यह जताई जा रही थी कि अब फैक्ट्री मालिक बढ़े हुए वेतन में से उस पैसे को दोबारा कर्मचारियों से वापस मांगेंगे, जो सरकार के आदेश के बाद उन्होंने अपने कर्मचारियो को दिया था, लेकिन कोर्ट ने आज संज्ञान लेकर यह साफ कर दिया है कि दिल्ली सरकार के न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के आदेश से अब तक दिए गए बढ़े हुए वेतन को कर्मचारियों से वापस नहीं लिया जा सकता.
बता दें कि मार्च में दिल्ली सरकार ने न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाने के लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया था जिसमें दिल्ली में अकुशल मजदूरों को 13,500 रुपये, अर्ध कुशल मजदूरों को 14,698 रुपये और कुशल मजदूरों को 16,198 रुपये न्यूनतम मजदूरी तय की गई थी. लेकिन हाईकोर्ट के शनिवार को आए फैसले के बाद दोबारा दिल्ली में फिलहाल न्यूनतम मजदूरी पुराने तय किये गए वेतन के हिसाब से ही हो जाएगी. इसके मुताबिक अब अकुशल मजदूर को 9,724 रुपये, अर्ध कुशल मजदूरों को 10,764 रुपये और कुशल मजदूरों के लिए 11,830 रुपये प्रतिमाह है.
दिल्ली सरकार के लिए न्यूनतम मजदूरी के फैसले का रद्द होना हालांकि एक बड़ा झटका रहा है. ऐसे में देखना होगा कि हाईकोर्ट से शनिवार को आए फैसले के खिलाफ सरकार क्या कोर्ट में कोई अपील दाखिल करेगी. हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट से पुराने वेतन से वसूली पर लगाई गई रोक कर्मचारियों के लिए राहत तो है ही.