दिल्ली हाई कोर्ट ने एक शिकायत पर सुनवाई के दौरान रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक से कहा कि वह अपने एक घर खरीदार को अक्टूबर के अंत तक 40 लाख रुपये का भुगतान करे. साथ ही नवंबर अंत तक घर खरीदार को 17 लाख रुपये का भुगतान किया जाए.
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली से सटे यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास क्षेत्र में कंपनी के एक प्रॉजेक्ट में विला का कब्जा देने में देरी के बारे में शिकायत पर सुनवाई के दौरान यह फैसला दिया. कोर्ट ने कहा कि 40 लाख रुपये की इस राशि का इस्तेमाल घर खरीदार ऋण चुकाने के लिए करेगा.
अदालत को बताया गया था कि घर खरीदार की कुल बकाया राशि लगभग 1.79 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 50 लाख रुपये का भुगतान अदालत के 24 सितंबर के आदेश के तहत किया गया था. चूंकि, मूल राशि 1.07 करोड़ रुपये थी, इसलिए अदालत ने सुपरटेक से पहले इसे चुकाने के लिए कहा जिसके बाद बिल्डर अपनी भुगतान योजना पेश करेगा.
वहीं, ट्विन टॉवर मामले में सुपरटेक को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के टॉवर गिराने के आदेश में संशोधन करने वाली अर्जी पर विचार करने से इनकार कर दिया है. यानी कि तीन महीने में दोनों टॉवर गिराने का 31 अगस्त का आदेश पहले की तरह ही लागू रहेगा.
मामले पर सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुपरटेक से कहा कि अंतिम फैसले के बाद याचिका दाखिल नहीं कर सकते. हमारा फैसला न केवल दूरी पर बल्कि अन्य महत्वपूर्ण उल्लंघनों पर भी था.