यात्रियों को पीने का मुफ्त पानी मुहैया कराने के संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड को आड़े हाथों लिया है. हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली मेट्रो से पूछा कि वह अपने हर रोज मेट्रो से सफर करने वाले 28 लाख यात्रियों को पीने का पानी मुफ्त क्यों नहीं उपलब्ध करा रही है? कोर्ट ने कहा कि पानी सबकी जरूरत है और डीएमआरसी का यह दायित्व है कि वह अपने यात्रियों को हर मेट्रो स्टेशन पर मुफ्त पानी की सुविधा उपलब्ध कराए.
दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएमआरसी से 4 हफ्ते में एक हलफनामा मांगा है जिसमें उसे बताना है कि वह यात्रियों को मुफ्त पानी किस तरह उपलब्ध करा सकती है और उसमें कितना वक्त लगेगा. कोर्ट ने डीएमआरसी से पूछा है कि कोच्चि, जयपुर, लखनऊ जैसी जगहों पर जब मेट्रो अपने यात्रियों को मुफ्त पानी की सुविधा दे रही है तो यह दिल्ली के उन यात्रियों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए जो मेट्रो से सफर करते हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाकर यह कहा गया था कि मेट्रो की यात्रा के दौरान यात्रियों को मुफ्त पानी पीने जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं दी जा रही हैं. ज्यादातर मेट्रो स्टेशन पर टॉयलेट भी नहीं है. डीएमआरसी की तरफ से कोर्ट में टॉयलेट ना होने की वजह सुरक्षा कारण बताए गए हैं, लेकिन पानी की सुविधा हर मेट्रो स्टेशन पर ना होने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट डीएमआरसी से खासा नाराज है.
दिल्ली मेट्रो से सफर करने वाले यात्रियों को या तो पानी अपने साथ लेकर चलना पड़ता है या फिर प्लेटफार्म पर बोतलबंद पानी खरीद कर पीना पड़ता है. लाखों लोग हर रोज मेट्रो से सफर करते हैं. इनमें बड़ी संख्या में बुजुर्ग और वह महिलाएं शामिल हैं.
जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता का कहना था कि अगर किसी व्यक्ति के पास पैसे नहीं हैं तो पूरी यात्रा के दौरान उसे प्यासे ही रहना पड़ेगा. याचिका में कहा गया है कि पानी ऐसी मूलभूत जरूरत है जिसे मेट्रो से यात्रा करने वाले लोगों को दिया जाना बेहद जरूरी है.
दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई अब 22 अक्टूबर को करेगा, लेकिन उससे पहले डीएमआरसी को उच्च न्यायालय में अपना हलफनामा देना होगा और बताना होगा कि वह मुसाफिरों को पीने का पानी कब तक मुहैया करा पाएगी.